भारत के आर्थिक विकास में सूचना प्रद्योगिकी का योगदान | Bharat Ke Arthik Vikas Me Suchana Prodyogiki Ka Yogdan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
401
श्रेणी :
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No Information available about चन्द्रभूषण दुबे - Chandrabhooshan Dube
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)बोली के आदि संचार से प्रभावित होकर इसे आवाज में परिवर्तित करने की
योजना मजुष्य के दिमाग में उपजी। उसने पशु की खाल से तथा मिट्टी के बर्तन से
मिलाकर एक वाद्य बनाया जिसे इम कहा गया। इम इस वाद्य से निकली आवाज थी।
इस वाद्य ने संचार के क्षेत्र में एक क्रांति सी ला दी। इस वाद्य का प्रयोग अब सूचना
सम्प्रेषण के लिए भी किया जाने लगा। ड्रम को विज्ञेष प्रकार की लकड़ी से बजाकर,
कई प्रकार की आवाजें निकालना शुरू हुआ। इन आवाजों का अर्थ अलग-अलग
लगाया जाता था। जब कोई आम घोषणा होनी होती तो ड्रम बजाकर व्यक्तियों को
इकट्ठा किया जाता और विधिवत घोषणा की जाती। मुगलकाल में इस वाद्य का प्रयोग
बहुत अधिक हुआ। यह वाद्य युद्ध के समय तथा युद्ध समाप्ति के बाद भी बजाया जाने
लगा। आम जनता को इस माध्यम से संचार की प्राप्ति होने लगी और वे इसके प्रयोग
का अर्थ भी समझने लगे। राजा महाराजाओं के घर बच्चे के जन्म तथा किसी प्रियजन
की मृत्यु का समाचार भी जनता में इस वाद्य के द्वारा ही पहुँचता था। खुशी के नगारे
और गम के नगारे अलग-अलग तरह से बजाये जाते थे।
प्राचीन सूचना संप्रेषण माध्यमों में लकड़ी तथा पत्तों का भी प्रयोग होता था
और इसका प्रयोग जल मार्ग के लिए किया जाता था। लकड़ी पर कुछ अंकित करके
गोपनीय सूचना पानी में डाल दी जाती थी। पानी के प्रवाह से यह सूचना अगले गन्तव्य
स्थान तक पहुँच जाया करती थी। हरी पत्तियों में सूखी पत्तियों का अर्थ सूखे तथा सूखी
पत्तियों में हरी पत्तियों का अर्थ खुशहाली से लगाया जाता था। बोली के बाद भाषा
की शुरूआत हुई। एक ऐसी भाषा का जन्म हुआ जो कुछ भौगोलिक क्षेत्रों में ही बोली
जाती थी। भारत में संस्कृत भाषा सबसे पहली भाषा बनी जो संचार की दृष्टि से बहुत
सफल साबित हुई। सारा का सारा बैदिक, सामाजिक, सांस्कृतिक तथा धार्मिक संचार
संस्कृत भाषा में ही हुआ। वेद, जो अलिखित थे वे भी संस्कृत में ही पीढ़ी दर पीढ़ी
संचारित होते रहते थे। लिपि के प्रयोग में भाषा को स्थायी रूप मिला और आगे
चलकर पुस्तकों की रचना भी होने लगी। पुस्तकों द्वारा व्यक्ति अपनी बात को लिखकर
कई पीढ़ियों तक सुरक्षित रख सकता था। लगभग सभी धार्मिक ग्रन्थों को लिपिबद्ध
करके धार्मिक संचार की शुरूआत हुई। हि
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