हदीस सौरभ | Hadis Saurabh

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Hadis Saurabh by मौलाना मुहम्मद फारूक खान - Maulana Muhammad Faruq Khan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रवेश ७ की पवित्रता किसी असत्य चीज को पसन्द नही कर सकती । 'नबी' को इसका पूरा ज्ञान होता है कि ईइवरीय माग-दर्शन प्रत्येक समय उसके साथ है । यही वह वात है जिसे श्रापने अपनी जिद्ा की श्रोर सकेत कर के इन दाब्दो में स्पष्ट किया . “उस सत्ता की कसम, जिसके हाथ मे मेरे प्राण है, इस से जो बुछ निकलता है, सत्य ही होता है ।”” अत्लाह की श्रोर से नवो को यह योग्यता श्रौर भ्रस्त प्रकाश इस लिए प्रदान किया जाता है कि वह “नुद्ूवत' के कार्य को टीक तौर पर निभा सके, वह अल्लाह की 'किताव' का श्रभिपाय लोगो को बता सके श्र भ्रल्लाह की इच्छा के श्रनुसार चरित्र आ्रोर भ्रादशं-समाज का निर्माण कर सके । और लोगो को उस मागं पर लगा सके जो उन्हे श्रल्लाह से मिलाता और दुनिया श्रौर 'श्राख़िरत' मे उन्हे सफल बनाता है । नवी का शुद्ध श्रौर निष्कलंक जीवन जिस प्रकार 'भ्रह्लाह' अपने 'नवी' को श्रसाघारण योग्यता प्रदान करता श्रौर है उसे ज्ञान, तत्वदर्शन, प्रकाश और मागगे-प्रदशन से सम्मानित करता भर 'वह्य' के द्वारा उसे सत्य मागें दिखाता है उसी प्रकार वह अपने 'नवी' की हर समय देख-भाल श्र रक्षा करता है । एक श्रोर, वह 'नवी' के पालन-पोपण श्रौर दीक्षा श्रादि को विशेष व्यवस्था करता है श्र दूसरी श्रोर वह उसे हर प्रकार की गुमराहियो श्रौर गलत कामो, से बचाता है । यढ़ी कारण है कि नवियो का “नुद्रुवत' मिलने से पहले का जीवन भी निष्कलंक' होता है । 'चुदूवत' के उच्च पद पर नियुक्त होने के वाद “नबियो' को श्रसाधारण ज्ञान, सूक-बरूभ श्रौर तत्वदशिता प्रदान की जाती है ताकि वे सत्य-मागं पर स्थिर रह सके श्रौर लोगो को सत्य की झ्ोर बुला सके । मनुष्य होने के कारण यदि कभी 'नबियो' से सोचने-समभनें मे कोई गलती या सूक्ष्म 'वह्य' के सूक्ष्म सकेतो को समभःने' मे कोई भुल-चूक हो भी जाती है तो तुरन्त ही श्रल्लाह उसे सुधार देता है । हजरत नह झ० ने अ्रपने बेटे को पानी में डूबते देखा तो पुकार उठे “है “रव' ! मेरा बेटा मेरे घर वालो मे से है ! ्रौर निक्चय ही तेरा वादा सच्चा है ।” (सूरा हद ४५) श्रल्लाह ने उसी समय बताया . “हे नह ! वह तेरे घर”वालो मे से नही , वह तो झ्रशिष्ट कम है । (हद : ४६) भ्रल्लाह की 'वह्मा' नबी सल्ल० की भी सरक्षक रही है। यदि कही भाप से साधारण सी झूल-चूक हुई, तो तुरन्त अल्लाह की 'वह्य' ने'




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