काव्य निर्णय | Kavyanirnay
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
22 MB
कुल पष्ठ :
264
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२ काव्यनिर्णय ।
वहीं बात सिगरी कहे, उलथा हांत यकेक ।
सम निज उक्ते बनायहूं, रह सुकालिपत शंक ॥६॥
याते द मिधित न्यो, क्षमिहं कवि अपराधु ।
बन्यां अनबन्यां समुझिके, शधि हिमे पाघु॥७
कृबित्त-मोसम जुहुह ते विष्ेषघुख पहं पनि दिदूपाति
सदेवके नकि मनमानोदै ॥ याते परतोष रसरानरस डीन
वशेषस प्रकीन परे क्विन् बखानाह ॥ तते यह उदयप
अकारथ न नेहे खव भाति उरई অতি ভাই अञषा-
লাই ॥ आगेके एुकवि रोद्ध तो कविताई न तां राधिका
कन्हाई सुमिरनकों बहानाह ॥ ८ ।
दोहा-ग्रंथ काव्यनिणयाह जो, समुझि करेंगे कृंठ |
सदा बहगा जारता, तारसना उपकठ ॥ ९ ॥
काव्यप्रयोजन ॥ संवेया ॥
एक लहे तप पुंजनिके फल ज्यों तुलसी अरू सर गोतधां३॥
एफ लहे बहु संपति केशव भूषण ज्यों बरबीर बडाई ॥
एकनिको यशहीसों प्रयोजन हे रसतानि रहीमकी नाई ॥
दास॒ कदि तन चसच बुषिदृतनक्ी सुखदे सब ठाईं॥ १०
सोरठा-प्रशु ज्यों सिखने वेद, मित्र मित्र ज्यों सतकथा ।
काव्परसनिको भेद, सुख पिख दानितियानि ग्यों ३ १
॥ सवेया ॥
शक्ति कवित्तयनाइबेकी ज्याह जन्म न्म दीनी ।वधात्॥
काव्यकी रीति सिख सुकवीनते देखसुनबहुछोकर्काबातें॥
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