नागपुरी शिष्ट साहित्य | Nagpuri Shist Sahitya
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5.1 MB
कुल पष्ठ :
153
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रवेशक «७».
देली का सनू १८९६० ई० में यहाँ आगमन हुआ. पर इस समस्या का कोई समाधान
नहीं निकल सका 1
सन् १८९४ ई० में यह श्रान्दोलन अपनी चरम-सीमा पर था । इसी समय
'विरसा मु डा नामक आदिवासी नेता का प्रादुर्भाव हुआ । बिरसा ने जो आन्दोलन
चलाया वह भ्रूमि तथा धर्म दोनों से सम्बन्वित था । बिरसा ईसाई पादरियों के भी
विरोधी थ्रे । उन्होंने यहाँ के लोगों को यह संदेन दिया-- यहाँ की झुमि के स्वामी
हम हैं । इसके लिए किसी को मी मालगुजारी न दी जाय । हमें जागना चाहिए और
गैर-ग्रादिवासियों को यहाँ की भूमि से निकाल वाहर करना चाहिए ताकि हम अपना
वासन स्वयं संभाल सकें । संसार में ईइवर सिर्फ एक है श्रतः अन्य मगवानों तथा
प्रेत झ्रादि की पूजा बन्द की जाय । हमें स्वच्छ तथा सच्चा जीवन व्यतीत करना
“चाहिए । हत्या, चोरी, भूठ आदि महापाप है ।””
विरसा का यह दावा भी था कि (विजली की कड़क के समय) उन्हें ईव्वर
से सत्येरणा प्राप्त हुई है और वह ईदवर दूत हैं । आगे चलकर उन्होंने अपनी देविक
बक्ति का परिचय मी लोगों को दिया, फलतः वह भगवान कहें जाने लग गए ।
विरना के बढ़ते हुए प्रमाव के कारण भ्रग्रेज चिन्तित हुए, क्योंकि विरसा के झचुयाधिओं
ने सणन्तर कांति प्रारम्भ कर दी थी । ० झ्गस्त, १८९४५ ई० को विरसा अपने अनेक
साथियों के साथ वन्दी बनाए गए । सतू १६०० ई० में उनकी मृत्यु जेल में हैजे से
हो गई, ऐसा कहा जाता है 1”
विसुतपुर थाना के जतरा उराँव ने सन् १९१४ ई० में “'टाना भगत
स्रान्दोलन” शुरू किया । ईसाई वर्म स्वीकार कर लेनेवाले आ्रादिवासियों की आर्थिक
अवस्था भ्रत्य आदिवासियों की श्रपेक्षा तेजी से सुघरने लगी, फलतः भ्रात्दोलनकारियों
से भ्ंग्रेजी जासन के साथ अ्रसहयोग प्रारम्भ कर दिया । इन्होंने अपने को महात्मा
गांवी का अनुयायी वताया । साथ ही इन्होंने सादगी तथा पवित्रता का संदेग लोगों
को दिया 1 टाना भगत मादक द्रव्य, माँस, नृत्य, संगीत तथा शिकार से दूर रहने हैं 1
ये सिफ॑ टाना भगत के द्वारा बनाया गया भोजन ही खाते हैं तथा विवाह श्रपनी जाति
के वाहर नहीं करते 17%
कांग्रेंस के द्वारा चलाए गए झ्रसहयोग ब्ान्दोलन में माय लेने के कारण टाना
भगतों को काफी कप्ट उठाने पड़े, फलस्वरूप स्वतन्वता के पब्चात् इनकी स्थिति
“सुधारने के लिए श्रनेक उपाय किए जा रहे है ।
आज का संपूर्ण छोटानागपुर चिजेषत: राँची एक श्रौद्योगिक क्षेत्र के रूप में
९ कद
'परिवतित हो गया है, जहाँ छोटी-वड़ी घटनाएँ तथा गतिविधियाँ होती ही रहती हैं
पर, एस० डी० प्रसाद, डिस्ट्रिट सेसस हूँद बुक रॉँची, १९६१, पृष्ठ ४
9६. वही, पुप्ठ ४ 1
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