नागपुरी शिष्ट साहित्य | Nagpuri Sist Sahitya

Nagpuri Sisth Sahitya कुमार गोस्वामी  by

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about श्रवण कुमार गोस्वामी - Shravan Kumar Goswami

Add Infomation AboutShravan Kumar Goswami

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
प्रवेशक ०» ७ चकाई, पाचेत तथा शेरघाटी के आस-पास के इलाके थे छोटानागपुर के महाराजा तथा उनके माइयों में ऋगडा शुरू हो गया । इस भगडे के पीछे महाराजा के दीवान दीनदयालनाथ सिंह का हाथ था । आदिवासी तो पहले से झ्रसतुप्ट थे ही, श्रतत वे भी इस भगडे का लाभ उठाने को उद्यत हो गए! पर यह समाचार श्रम्नेजो को सिल गया, श्रत' सन्‌ १८०७-१८०८ ई० में मेजर रफ्सेज के झ्रधीन एक सेना भेजो गई । दीवान पहले तो भाग निकलने में सफल हो गया, पर बाद में वह गिरफ्तार कर लिया गया । महाराजा ने बकाया कर चुका दिया शऔर श्रपने माइयों से समझौता भी कर लिया । सन्‌ १८०६ ई० में यहाँ छः पुलिस थाने बनाएं गए । यही से श्रातरिक प्रशासन पर भ्रग्रेजो का हस्तक्ष प प्रारम हो गया ।*£ श्रादिवासियों के वीच व्याप्त श्रसतोष की श्राग भीतर-ही-मीतर सुलगती रही, जिसका विस्फोट सन्‌ १८३१-३२ के कोल श्रादोलन (लरका श्रादोलन) में हुश्ा । इसका प्रधान कारण मुस्लिम तथा सिख शकेदारो का मु ढाझो के प्रति श्रपमानजत्तक व्यवहार था । तमाड के समीप एक गाँव में मु डा लोग जमा हुए। षन लोगो ने मिलकर मुसलमान तथा सिख ठेकेदारों को लूग तथा उनकी सम्पत्ति को काफी नुकसान पहुंचाय। । यहू श्रादोलन रॉची जिले के अनेक हिस्सों मे फल गया । आादोलन- कारियो ने गैर-प्रादिवासियों (सदान) के साथ श्रमानुपिक तथा वर व्यवहार किया मार-काट काफी दिनों तक चलती रही । यह श्रादोलन सन्‌ १८३१ ई० में प्रारम हुआ था, पर इसे सन्‌ १८३२ में काफी खुन-खराबी के कप्ताम विलकिन्सन के द्वारा दवाया जा सका । का इस कोल श्रादोलन से बिक्षा ग्रहण कर श्रग्रेंजो ने प्रशासन की सुविधा को ध्यान में रखकर “साउथ वेस्ट फ्र टीयर एजेन्सी” की स्थापना को, जिसका मुख्यालय लोहरदगा बनाया गया । इस एजेन्सी के श्रघीन आज का लगभग सपूर्ण छोटानागपुर प्रमडल था । इसकी देख-रेख एक एजेस्ट के द्वारा की जाती थी, जो एजेन्ट टू दि गवर्नर जनरल कहलाता था । आगे चलकर इस पद का नाम सन्‌ १८४५४ ई० कमिदनर कर दिया गया । पहले एजेन्ट के श्रघीन प्रिंसिपल एसिस्टेंट टू दि एजेन्ट हुमा करता था । सन्‌ १८६१ ई० मे इस पद के स्थान प्रर डंपुटी कमिश्नर परदनाम का प्रयोग प्रारम्भ हो गया ।** अब छोटानागपुर पूर्णत अग्रेजी के श्रघिकार मे था । सन्‌ १८४५ई० में चार ईसाई मिशनरियों का जर्मन से यहां श्रागमन हुआ । शमी यहाँ चार ईसाई मिशन सक्रिय हैं जिनके द्वारा यहाँ लाखों श्रादिवासियों को ईसाई धर्म में दीक्षित किया जा चुका है । १४. एस० डी० प्रसाद, डिस्ट्रिट सेंसस हूँद दुक राँची, १६६१, पृष्ठ ३ । १४५ वही, पृष्ठ ३ । १६. एस० डी० प्रसाद, डिस्ट्रिकट सेंसस हूँढ बुक राँच्ी, १९६१, पृष्ठ ३1




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now