भूषणा - विमर्श | Bhushan-vimarsh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
282
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)भूषण-विमशे
পুতি পাশাপাশি
१--भूषण का जीवन-चरितश्र
भ्रान्तियां
भारतीय इतिहास श्रान्त-भरित भावों का भाण्डार बना हुआ
है। अन्वेषण ने यद्यपि अनेक अ्रमपूर्ण बातों एवम् धारणाओं
छी हटाकर इतिहास का परिष्कृत रूप प्रत्यक्ष कर दिया है, परन्तु
विद्वानों का ध्यान राजनीतिक घटना-चक्र। और राजबंशों की
ओर ही अधिक आकर्षित हुआ है; कवियों की ओर उन्होंने
विशेष ध्यान ही नहीं दिया ! |
समाज मं राजवीत्तिक करन्ति की श्रपेक्ा साहिष्यिक क्रान्ति,
अधिक महत्वपूर्ण एवम् स्थायी होती है। उदाहरण के लिए,
गोस्वामी तुलसीदास ने द्विन्दू सभाज को जा जीवन अदान किया
है, बहू इतना प्रभावशाली और अमिट है कि सूर्यवत्त अपमे
प्रकाश से अखिल भरतवषं का देदीप्यमान कर रद्ाहै। इसी
कार महाकवि भूपण ने अपनी रचना द्वारा जो राजनीतिक
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