पत्र व्यवहार संक्षिप्तिकरण तथा बाजार भाव | Patra Vyavhar Sankshiptikaran Tatha Bajar Bhav

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Patra Vyavhar Sankshiptikaran Tatha Bajar Bhav by श्रीनारायण श्रीवास्तव - Shreenarayan Shrivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ७ ) पहिले तारीख ओर साज्ञ अंत में तिखा जाता हे । मेषे माच १२, १६४८ ई० | हिन्दों में महीने संक्षेप में न लिखने चाहिये! | तारीख भी गिनती मँ न लिखनी चाहिये। अधिकतर गिनती में तारीख का प्रयोग हस्ताक्षरों के नीचे किया जाता हे। जेसे १३-५-४६ तारीख लिखने का ग़लत ढंग ( १ ) १३-७-४६ (२)२३ -- तारीख लिखने का ठीक ढंग माच २५, १९४४ ई० २३ मई, १६४८ ई० ( ३ ) पत्र पाने वाले का पता-- इसमें पहिले तो उस व्यक्ति, या कारखाने का नाम लिखना चाहिये जिसे पत्र भेजा जा रहा हे | फिर, पत्न पाने वाले के नाम के बाद्‌ उसकी उपाधि, निवास-स्थान श्रथवा उसके कारवार का स्थान दिया जाना चाहिये । पत्र पाने वाले के नाम के पिले कुछ शब्द आदर सत्कार के भी जिख दिये जाने चाहियें। साधा- रणत:, पुरुषों के लिये 'श्रीयुत” या “श्री? का प्रयोग होता हे, नाम के अन्त में 'जी? शब्द का प्रयोग भी होता है । अग्रेजी में इनके स्थान पर क्रमशः 'मिस्टर” ओर इस्कायर होता हे । बहुधा, हिन्दुस्तानी मनुष्य नाम के पहिले पंडित” “लाला! और “बाबू! “ठाकुर', 'मुन्शी? इत्यादि जाति ओर क्रोम के अनुसार विशेषण या उपाधि भी लगाते हैँ । जब कारखानों के नाम किसी व्यक्ति के नाम से आरम्भ होते हैं तो उनके नाम के पूर्व सब श्री




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