पत्र व्यवहार संक्षिप्तिकरण तथा बाजार भाव | Patra Vyavhar Sankshiptikaran Tatha Bajar Bhav
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
15 MB
कुल पष्ठ :
308
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ७ )
पहिले तारीख ओर साज्ञ अंत में तिखा जाता हे । मेषे माच
१२, १६४८ ई० |
हिन्दों में महीने संक्षेप में न लिखने चाहिये! | तारीख भी
गिनती मँ न लिखनी चाहिये। अधिकतर गिनती में
तारीख का प्रयोग हस्ताक्षरों के नीचे किया जाता हे।
जेसे १३-५-४६
तारीख लिखने का ग़लत ढंग
( १ ) १३-७-४६
(२)२३ --
तारीख लिखने का ठीक ढंग
माच २५, १९४४ ई०
२३ मई, १६४८ ई०
( ३ ) पत्र पाने वाले का पता--
इसमें पहिले तो उस व्यक्ति, या कारखाने का नाम लिखना
चाहिये जिसे पत्र भेजा जा रहा हे | फिर, पत्न पाने वाले के
नाम के बाद् उसकी उपाधि, निवास-स्थान श्रथवा उसके कारवार
का स्थान दिया जाना चाहिये । पत्र पाने वाले के नाम के पिले
कुछ शब्द आदर सत्कार के भी जिख दिये जाने चाहियें। साधा-
रणत:, पुरुषों के लिये 'श्रीयुत” या “श्री? का प्रयोग होता हे, नाम
के अन्त में 'जी? शब्द का प्रयोग भी होता है । अग्रेजी में इनके
स्थान पर क्रमशः 'मिस्टर” ओर इस्कायर होता हे । बहुधा,
हिन्दुस्तानी मनुष्य नाम के पहिले पंडित” “लाला! और “बाबू!
“ठाकुर', 'मुन्शी? इत्यादि जाति ओर क्रोम के अनुसार विशेषण
या उपाधि भी लगाते हैँ । जब कारखानों के नाम किसी व्यक्ति
के नाम से आरम्भ होते हैं तो उनके नाम के पूर्व सब श्री
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