भाईजी पावन स्मरण | Bhaiji : Pavan Smaran
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
51 MB
कुल पष्ठ :
800
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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शीराधराधव सेवा-संस्थाव-एक परिचय
नित्यलीलालीन परमश्रद्धेघ श्रीमाईजीके कतिपय श्रद्धालुओ, मित्नो, प्रेमियों एवं स्वजनोने श्रद्धेय
श्रीमाता आजणीर्वाद लेकर महाणिवरात्रि सवत् २०२४ वि० के दिन गोरखपुरमे श्रीराधामाधव सेवा-
सस्थान दी रथापता की थी। इस सस्थाके विपयमसे श्रीभाईजीने लिखा हु--अ्रीराधामाधव सेवा-सस्थान” एक
गसगथा हे जिसके उद्देश्य वबहत अच्छे है और जहातक सदाचार, त्यागयुक्त साधन, नियमित जीवन और सेवाका
क्षत्र है, वहाँतक में उसको बहुत उपादेव समझता हूँ। **' सस्थानके लिये साधन-नियम मेरेहीद्वारा निर्देश
किसे हए है।
इस सस्थानके तीन प्रमुख उद्देश्य है--
(१) क्षाध्यात्मिक तथा सास्कृतिक कल्याण--अर्थात् श्रीराधामाधवके प्रति विजुद्ध, निस््वार्थ एवं आत्म-
समर्पणसे पूर्ण भक्तिका प्रचार-प्रसार करना।
(२) समाज-सेवा--अर्थात् दिव्य प्रेम एवं आनन्दके मूतिमान् विग्रह श्रीराधामाधवका प्राणिमात्रमे
दर्शव करते हुए यथावण्यक उपकरणों--अन्न, वस्त्र, जल, औपध, आथिक सहयोग, आवास आदिके द्वारा उनकी
सेवा कारना |
(২) स्वस्थ एव सत्साहित्यका प्रकागनं एव प्रचार--अर्थात् आध्यात्मिके एव सास्छृतिक पुनरुत्थानके
निमे, विगुद्ध भक्ति-पक्षके प्रचारके लिये, अनैतिक प्रवृत्तियोके उन्मूलन एवं नेतिकताके विकासके तिये प्राचीन और
सबीस सत्साहित्यका सगह, सरक्षण, प्रचार एवं प्रकाशन करना ।
परमश्रद्रेय श्रीभाईंजीने अपने जीवन, कार्य, वाणी एवं लेखनीहारा व्यावहारिक साधनाका तथा
ओीराधामाधव वी उपासनाण्य एक ऐसा सरल तथा निरापद स्वस्प प्रदर्शित किया है, जिसको अपनाकर चलनेवालोका
नेतिका स्तर मिरन््तर उन्त होता जाता हे ओर वे सासारिक भोगोके दल्दलसे--वीच कामके चजद्धलसे निकलकर
मोन्षकी भी तधु बना देनेवाले विशुद्ध भगवसद्मोेम-राज्यम अनायास ही प्रवेणग पा सकते है। अतणएव उपर्यक्त तीन
৯, পু
योते सन्त्मत पायं करतेके লা टी श्रीभारंजीके जीवन, कतित्व एवं साहित्यक्रे प्रचार एवं प्रसार कार्यको
सरपान प्रागमियता देता हे।
प्रीताईमीका प्रामाणिदा जीवन-वृत्त
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