रामराज्य की ओर | Ramrajya Ki Aur

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Ramrajya Ki Aur by स्वामी शुकदेवानंद - SWAMI SHUK DEVANAND

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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৬৮০০ ` তত ৯ ( ४७७ ४ , हक ৯7 £ (६) ८ ४४ টি ५ + 0 ( रामराज्य कौस्थापना के कीरण)::5॥ + ५ ८१, 59 4 मर्यादा पुरुषोत्तम भगवा সন | বি দু ~ पूर्ण शिद्धा को श्रवधि समराप्तरर जब गृहस्थाश्रास, से प्रविष्ट हुए उस समय भारतवर्ष के दक्षिण मं रतां के श्रनाचारों से समस्त जनता संत्रस्त थी । चारो श्रोर द्ाह्यकार मचा हुआ था | अ्रखिल ब्रह्मयड विजयिता रावण के गुप्तघर समस्त भारत में फैले हुये मे । एकान्त साधना में निरत वनवासी ऋषि-मुनियों के यज्ञादि मरारम्भ «करने में रास विध्न दालते थे । रावण का श्रष्याचार चरम सीमा तक पंच चुका था। जिसे अपने गुप्तचरों द्वारा सुनकर पुरुषोत्तम श्री राम को गम्भीर चिन्ता उस्पन्न हो गईं। देश को संफट से मुक्त करने के लिये उन्होंने एक मिश्चित योजना बनायी । उस योजना को घरितार्थ करने के लिये पृक्क गुप्त मंत्रणा हुईं | जिसमें भगवान्‌ श्रीराम सह्दित भ्रट्टाइस व्यक्ति सम्मित्षित हुए | यह योजना श्रध्यन्त गोपनीय रफ्खी गईं । जिसे उन्तोसवा व्यक्ति भी न जान सका । श्रपनी धम*पत्नियों सहित चारों माई तीनों मातायें महर्षि बसि चार मंत्री, चार उपमंत्री, मद्वाराज दशरथ इत्यादि २४ व्यक्ति इस गुप्त मंत्रण में सम्मिलित हुए। इस योज्ञना में जो प्रस्ताव पास हुए, उसके अनुसार अ्रपना अ्रपना पार्ट भलौभाँति निभाने के लिये सब प्रतिज्ञावदु हुए। यदि इस रहस्य का भेद जनता को मित्न जाता तो कदाचित्‌ हसप्रकार सफलता प्राप्त न द्ोती | माता कैकेई के लिये जो पा निश्चय हुआ वह हलाहल विष के समान भयंकर था । जिसके फलस्वरूप उन्हें सदेव




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