हिन्दी में पी-एच॰डी॰ हेतु बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय में प्रस्तुत | Hindi May Phd Hetu Bundelkhand Vishiyadalaya May Prastut

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Hindi May Phd Hetu Bundelkhand Vishiyadalaya May Prastut by ममता द्विवेदी - Mamta Dwivedi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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लिका 6 इक ছুটি च्छ क छक ছুটি ছুটি ছি 1... (10) एक अच्छे पेय शब्दकोश में “मिथ” का अर्थ बतलाया गया हे-- “जिसका यथार्थतः अस्तित्व नहीं हे ।“ ठीक दूसरी जगह कहा गया है कि राजनीति में न्याय भी एक मिथक है| विश्व संस्कृति के विकास कम में “मिथ” के अर्थ का कभी अत्यधिक संकचन हुआ और प्रसार | कार्नफोर्ड ने लिखा है कि वास्तविक मिथक रचना के आदिम स्तर के बाद एक ऐसा संकाति काल आया, जिसमें पुराने जीवन के वे बिंब और प्रतीक अपने मूल अर्थ से निकलकर रुपक या रुपककथा बनने लगे | अंततः एक ऐसा वक्‍त भी आया, जब बौद्धिक सोच इतनी तेजी से विकसित होने लगी कि पूरी जाति ही मिथक शास्त्र के स्वप्न से जाग उठी | “लोगोस”“ ने “मुथोस” की जगह ले ली | उक्तियां सीधी कही जाने लगी | मिथकीय संवेदना को अबौद्धिक कहने के पीछे पच्चीस सौ वर्ष पूर्व की ग्रीक हठकारिता थी, जिसने काफी नुकसान पहुंचाया | जबकि सम्पूर्ण विश्व साहित्य में ग्रीक मिथक काफी लोक-प्रिय रहे हैं। ग्रीक संस्कृति का इतिहास तो वस्तुतः मिथकों के प्रति उसके विकासशील रुख का इतिहास रहा है । पांच शताब्दी ईसा पूर्व इक्सेनोफेसः ने 'होमर तथा हेलियड' के काव्य की मिथकीय अभिव्यक्ति को नकारा| उसमें मिथकीय चेतना को इतिहास निरपेक्ष तथा बौद्धिकता विहीन सिद्ध কিনা | कार्नफोड ने इसी घटना को महत्व दिया है, जबकि हमे मालूम है कि प्लेटो त कवियों को बुरा-भला कहने के बावजूद मिथक की भूमिका सामाजिक व्यवहारों में पुनर्स्थापित की थी | इयुहेमरस ने




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