दयानन्दमत विद्रावण | Dayanandmat Vidravan

Book Image : दयानन्दमत विद्रावण  - Dayanandmat Vidravan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विवाह प्रकरण 0 ९१ की तस्वीरसे करे? अगर आप कं कि नारायण इत्यादि ६. হলংজী লাল লহ ই লী দিব स०प्र०के आदिमे क्यो लिखे यये? | स प्र० ए० ७२ में लिखा है कि हसारा सत बंद है जो ব্রত करने छोड़नेकी शिक्षर है उसीफो हस फरनर छोड़ना मानते हैं । शट्टा 9-क्यों जी जब वेद ही पर आपका विश्वास है तो फिर स० प्र० में चरक सुशत्रत उपनिपद्‌ दिका अम्य ख्यो तीर क्यग्रर बेंदमें कहीं यह भी लिखा है कि मूत्तिं पूजन मत करी अगर लिखा है तो बतलाओ ? शोर जो नहीं लिखा तो बेद्विरुदु इसका खणडन क्यों? आपने बेंद घत्‌ लिखकर इतनर कौर लिख दिया होतर कि हमारा र- चित दीक्षा दही हसारा वेद है। विवाह प्रकरण । स प्र० ए० ५८ पंक्ति ९८ जो कन्या समातक्के छः पीढ़ियों की न हो और पितके योत्रकी न हो उससे विवाह करना यीग्य है यह्‌ निश्चित चात है कि जैसी परोक्त पद्र्थमे भीति होती है जेसी प्रत्यक्ष में नहों। । शङ ९-यष्ट परोक्त शरीर मटयद्तफा अथे आपने आपने गोत्र व साताके कुलमें निकट सम्वन्धका रक्‍्खा है या और कुछ? पहिले इसको साफ फीजिये कि निज गोत्र या माद झुज्षमें शादी न होनी चाहिये या फासले में? यर नजदोक न होना चादिये॥ ^ शा २-अगपने ए० ८३ वा ए०.९२ भे, शादी; लडका ल- দা दी पर्दगी पर फोटो था जीवन चरि . इत्यादिके রাহা হী ই अव अगर लडका. लड़को फी पसन्द मी निज सोत्र भ्रा मावृङ्घुल में हुए तो उस. ससय .कंया होगर ? और वह शादी. किसफे विरुद्द॒ु करना चाहिये / र० म० के ? या




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