अंग्रेज़ी राज में : हमारी दशा | Angrezi Raj Me : Hamari Dasha
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
168
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand). विपय-प्रवेश ह १९
अपने साम्राज्य में हमेशा के लिए रखने का आपके पास बहुत
तअच्छा मोक्ता ৪1? हिन्दुस्तान “ने पिछली लड़ाई में १० करोड़
पोंड नक़द सेट में दान दे देने के अलावा दूसरे भी कई तरीकों से
कई लाख.पोंड की सहायता की थी | धन की सहायता के सिवाय
उसने दस लाख से अधिक सिपाही दिये थे, जो मारे गये या
घायल हुए। ब्रिटेन की राष्ट्रीय आमदनी और ञ्यावसायिक
उन्नति में भारत से मिलनेवाली विविध सहायताओं का एक
विशेष स्थान है। इसे अं ग्रेज़ अपनी इच्छा से छोड़ दंगे, यह कोई
भी नहीं मानेगा। वस्तुतः भारत पर ब्रिटेन का निरंकुश शासन
कोई आकस्मिक घटना नहीं है, यह तो ब्रिटिश-साम्राज्यवाद के
ख्याल से उसका अनिवार्यं शरोर युक्तिसद्धत परिणाम दै |
तश्च इन नाममात्र के सधासें रौर नये शासन-विधान का
दिखावा क्यों किया जां रहा है ? इसका सीधा-सादा जबाब है
भारतीय-जनता की ओर से लगातार बढ़ने
निकभ्मे सुधार वाला दवाव । ये सुधार विलकुल निकम्मे सावित
हुए हैं और थह इस वात का सबूत है कि
हिन्दुस्तान की जनता का दबाव ब्रिटेन पर काफ़ी नहीं पड़ा ।
जनता की एक भी शिकायत अचतक दूर नहीं हुईं, इसीलिए यह
संघर्प अब तक जारी है। यूरप की पिछली लड़ाई के दिनाँ या
उससे पहले ब्रिटेन पर जो दवाव डाला गया था, उसक्रा परिणाम
१६१६ ई० की मांन्टेगू चेम्सफोर्ड युधारयोजना थी । कुछ ही
दिनों में यह सावित होगया कि जिन बातों ने मिलकर भारतीय-
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