श्रेष्ठ आदर [भाग-1] | Shresth Aadar [Bhag-1]
श्रेणी : कहानियाँ / Stories
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ९१ )
भक बार मर चुका था ते मुझ से बे'ल और अपने के
सके पर प्रगट ऋर जिम से में जानू कि यह सत्य है।
वक्त जीचला और महान स्रीषट उस के साथ था
जिस ने उस का इस प्रकार पकारा ओर उस को
पर कार व्यथ नदीं गदु । वह रुरु जा इश्वर ऐे और
ज कुछ मसय तक ना मनुष्या कौ द्रष्ट मे नदीं
आला उस खाजी फिप्य पर प्रगट हुआ | ओर सक
अपर फिर भी यह तक्षर दिया गया मदद प्रभु आर
सश्र इण्त्रर €
टस হেল नत्र कि सदश तदास ओर पत्तनलातन
आपस मे खाली शालागइ में बातचीत कर रहे थे
स्र हफता बाल चुका था अप लश्च र्कः पन सचर
प्रसन्नास्यं न अयने प्र जात् इम पाड स्र कसी क
तट अततो आल को आहल मरना अग गक শাল
भा जम का कि उस ने अपने सहुपादी का शब्द
পরল মহ কল ফুল मना तकम तुमम् त्रात चीत
कदने का यर दृत सद्म था सा यद्धि आप चाहें
ना में आप के साध चमन् ।
फ्लनलाल न प्रमन््ता पूवक स्वीकार कर लिया
ओर सुदश नदास लुग्न्त कह्दन लगा तुम्हे स्सरग छ्षागा
कि गरक ह्षफत! हुए हम लेगा को आपस मे दात
স্বীল সু थी ओर तम न स॒झे अपनो पहिलीा दशा
में लाठ जान की सम्मत दे थी + में जानता या
कि यह बात नहीं हा सझतो थो आर अब में तुम
मे ऋहना चाहता हैं हू जा सन्देह मर मन में था
स। अब सदा के लिये निवारण कह गया अब में
User Reviews
No Reviews | Add Yours...