हिन्दू मुस्लिम मेल | Hindu-Muslim-Mail

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) और अन्तम चोटी भी साफ होगई। जैसे ठम्बी डम्बी मूछों से मक्खी सर॑खी मृष्ट रही ओर अन्तमे साफ़ হী गईं यही बात चोटी की हुई। पश्चिम में एक और फेशन था-लोग सिर ते घुटालेते थे पर एक तरद्की टापी लगा लेते थ जिस पर बहुत सुन्दरता से सजाये हुए नकली बाल रहते थे । पुराने जमानेमे इंग्लेण्ड के छाड ऐसी टोपियों का उपयोग करते थे इस प्रकार सिर के बाले का फेशन टोपी के बालो का फैशन बन गया और इसीलिये सिर की चोटी तुकेस्तान में ठोपी की चोटी बन गई । इसीलिये तुकी टोपी ख्गने- वाले मसल्मान सिर पर चोटी न रखकर टेपीपर चोटी रखते हैं। हा, बहुत से हिन्दू और मुसलमान न सिर पर चोटी रखते हैं न टोपापर चोटी रखते हैं । इस प्रकार हिन्दुत्त और मुप्तल्मानियत, दोनो ही न चोटी से छटठक रहे हैं न दाढ़ी में फँसे हैं इसलिये इस बात को लेकर झगडा व्यथ है । ९ देशभद्‌ कहा जाता है कि हिन्दू पहिले से यहा रहते है और मुस- टमान अरबी है या पिछले हजार वष मे बाहर से आये हैं | इस प्रकार दोनों के पूवज जुदे जुदे होने से दोनो में स्थायी एकता नरह हयो पाती | সি इसमे सन्देह नहीं कि मुट्ठी दो मुठ्ठी मुसलमान बाहर ते जरूर आये है पर आज जो हिन्दुस्थान मे आठ करोड मुसलमान हैं वे जाति से हिन्दू ही है, यय्यपि अब एक घमम का नाम भी हिंदू दो गया है और सामाजिक क्षेत्र भी बट गया है. इसलिये मुप्तलमान




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