प्राकृत और अपभ्रश का डिंगल साहित्य पर प्रभाव | Praakrat Aur Apbhransh Ka Dingal Sahitya Par Prabhav

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Praakrat Aur Apbhransh Ka Dingal Sahitya Par Prabhav by डॉ गोवर्धन शर्मा - Dr. Govardhan sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विषय-सुची ७ पहला अध्याय--प्राकृत माया ओर साहित्य १७-५६ प्राकृत की स्पुत्पत्ति १८ प्राकृत भाषा का श्किस २० धि्ापेखौ प्राङृत बहिर्भाप्तीय प्राकृत भार्मिक प्राकृत साहि छक प्राहृत, पैशात्री प्राकृत साटकीय प्राकृत, गैगाकुएणों कौ प्राइझत भिम यपा पाणा सेस्कृद बोद मिश्र संस्‍्कृद बैन मिश्र संस्कृत ब्राह्मम मिन्र छंस्कृठ । प्राकृतं प्राहस्य का उदय ३२ प्राङृत ाहिस्य की स्परेखा ३३ अमुदेव हिप्डो सुपारसताह चरिय महाबोर भष्ठि দ্ুলপ্িলাশ अषध्ति कुसारपाछ अर्ित कुम्मापुत्त चरित समराइब्द कहा चूर्तास्थान कथाकोहप्रकष्प, कपा सहोशधि विजयचण अर्ति हवात प्॑यमो कथा विलमचम्त केवलिंग तरपषती धुरसुम्दरो আমে कालकाजायं कषालक मुबमपुल्दटौ मलय पुन्दरौ कवा सिरिषिर्जिालठ कहा रमणशेहर कहा कुवलय पाला कषा, उबएषमाला धर्मोपदेशमालणा विवरण कुमारपाक प्रतिरोध । प्राकृत की साहित्यिक रचनायें ४६ सैतुबल्थ था रागण बहा पौडबहो महुमह गिजन पीवर, दिरॉबिय कध्य पोरिच रित, उसाबि्द, कंदबड्ो ।




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