श्री महावीर वचनामृत | Shri Mahaveer-vachanamrit

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Shri Mahaveer-vachanamrit by धीरजलाल शाह - DHEERAJLAL SHAH

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(8) सुमुधुभो को इन वचना का स्वाध्याय प्रतिदिने अव्यय करना चाहिये । प्रस्तुत सकठन तैयार करते समय श्री उत्तराध्ययन सूत्र तथा श्री दरावैकालिस सृत का पूणरूप से उपयोग किया गया है। आजतक उप्यक्त दोना ग्रन्थ रत्नों की कई आवृत्तिया प्रकाशित हो चुकी हैं और उनमे गाथाओं के क्रमाक में एक्दो का अन्तर जाता है। अत प्रस्तुत सक्लन को प्रचलित आवृतिआ के साथ मिलाने पर क्ही-क्ही 'एकाघ-दो गाधाओ का अन्तर होने की सम्भावना है, जिसे पाठ्वगण किसी प्रशार की त्रुटि न समक। ठीक बसे ही मूल गाथाओं में भी कही-कही पाठान्तर हँ जो टीफाकयें के अभिप्राय एव अथ-सगति को परिलक्षित करते हुए योग्य, रुप से रवे गये हैं। अत उसमे भी प्रचलित आवृत्ति की अपेता कुछ स्थानों पर अन्तर होना स्वाभाविक है । केकिन जय तक इन दोनो ग्रन्या की सवसामान्य आवृत्ति तयार न की जाय तव॒तक यह स्थिति बनी ही रहेगी । प्रस्तुत हिन्दी सम्बरण में भगवान्‌ महावीर के १००८ बचना का सग्रट्‌ ४० धाराओ मे सुब्यवस्थित ढंग से उपस्थित पिया गया है| अत पाठक्गण किसी भौ विषय पर भगवान्‌ वा मत्तव्य क्या था, वह आसानी से जान सकेगे। फिर प्रत्येक वचन के नीचे उमका भूल आाघारम्यान संकेत द्वारा सूत्नित क्यि गया टै ओर स्यप्ट-्ग्ल अनुबाद साय योग्य विवेचन भौ दिया गया है आपिर मे अति आवश्यक समझ कर प्रसाशित वचनों का अकारादि क्रम भौ जोड दिया है ।




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