संक्षिप्त जैन इतिहास | Samkshipta Jain Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रस्तावना |. नस जनधर्म अथवा जेननातिकी ऐतिहासिक प्राचीनताकि विष- ? यमें यदि कोई निश्चयात्मक बात कही ना बी सक्ती है तो वह यही होगी कि जितनी , ही ऐतिहासिकता भारतवर्षके ऐतिहासिक .. काठकी सिद्ध होती जायगी उतनी ही जेनधमेकी प्रादीनता प्रगट होगी, कारण कि भारतके प्र्वीनकालमें जैनधरमेके अस्तित्वकी प्रधा- ,. नता रही है । वर्तेमानमें जिस प्रकार भारतवरषका ऐतिहासिक काल ' ईसासे पूर्व ६००-९७०० वर्षसे प्रारम्भ होता है उसी प्रकार जैन '. इतिहासकी कारुगणना. समझना चाहिए । यद्यपि एक टष्टिसे जय धमकी ऐतिहासिक प्रमाणता इंसासे पूर्व /०० वा ९०० वर्ष तक बढ़ जाती है क्योंकि भाघुनिक खोजने नेनियोंके अंतिम भगवान महावीरके पूर्वागामी २३ वें तीथेड्टर श्री भगवान पाशच- नाथको ऐतिहासिक व्यक्ति करार दिया है; नो भगवान महांवी- 'रसे २५० वर्ष पहिले हुए थे । इसीढिए आधुनिक ढष्ट्सि एक विशेष विश्वमनीय जेन इतिहास इसासे ९, वीं छाताब्दिसे प्रारम्भ-हुआ कहा नातक्ता है | उधर भगवान पाश्चनाथके पूर्वागामी तीथेड्टर श्री नेमिना- थी अजुनके मित्र और गीताके श्रीरुण्णके समकाढीन थे ! और बहू भगवान पार्शनाथसे ८४.०० ० वर्ष पहिले हुए कहे नाते हैं । प्‌




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