नवतत्त्वसंग्रह | Navtattvsangrah

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Navtattvsangrah by हीरालाल रसिकदास कापड़िया - Heeralal Rasikadas Kapadiya

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about हीरालाल रसिकदास कापड़िया - Heeralal Rasikadas Kapadiya

Add Infomation AboutHeeralal Rasikadas Kapadiya

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
। । न्यायाम्भोनिधि-प्नदोद्धार-जैनाचार्थ-१००८ भीमद्‌-- विजयानन्द सूरीश्वरविरचितः ॥ नवतत्वसद्गहः ॥ शीमत्सर्वज्ञाय नमः| शुद्धज्ञानप्रकाशाय, लोकालोकैकमानवे । नमः भ्रीवर्धभानाय, वर्धभानजिनेशिने || १ ॥ - अथ नवत्संग्रह ' लिख्यते, प्रथम “जीवत ठिख्यते-पन्नवणा पद्‌ १, (जीवभेद ) । नरकनाम--रतपरभा १ शकर(करा)प्रमा २ बाठु(कापरभा २ प॑कप्रमा ४ भूमरप्रा तमा ६ तमतमा ७.१ एथ्वीभेद्--ङृप्ण मृतिका १ नीली मदय २ एवं पाच वर्णेकी मदी ५ प्रा ६ पनग- धूर ७ ककर ८ रेत ९ सवण १० राग ११ लोह १२ तांवा १३ सीता १४ रूपा १५ खर्ण १६ हीरा १७ दरिताल १८ सिंगरफ १५ ममसिल २० पारा २१ मूंगा २९ सोवीराजन २३ भोइल २४ सर्व जातिके रत-पत्मा माणक आदि, एर्वकांत आदि मणी हति,/ # धभे्‌रइया सत्तविद्दा पन्नत्ता, तजद्धा--स्यणप्पभाषुदविनेरश्या १ सकरप्पभा० २ घाल्ुय- प्पभा० ३ पकप्पभा० ४ घूमप्पभा० ५ तमप्पभा० ६ तमतमष्पमा० ७”। (अज्ला० सू० ३१) * “सप्दवायरपुढविकाइया सचविद्य प्ता, तेजदा--किण्दमत्तिया १ नीलमचिया २ छोहिय- मत्तिया ই दालिइमत्तिया ७ सुक्कि्ममत्तिया ५ पांडमत्तिया ६ पणगमत्तिय ७, सेच सण्दयावरपुदबि- फाइया” । (स॒ू० १७). “पस्वायसपुदविकाइया अणेगविद्या पत्नता, तजद--पुढवी হব सकारः २ घादुया ३ य उयते ७ सिला ५ य छोणूसे ६-७ । अय < तब तड १० य सीसय ११ হয ২৭ হের १३ य चइरे १४ य॥ १॥ इरियाले १५ हिंयुलए १६ मणोिला १७ सासगेजणपवाके १८-००1 य्मृपडरूब्भवाल्दुय २१-२२्‌ धायरकाष मणिविदाणा ॥ २ ॥ गोम २३ य यप २४ भके २५ फरिद्दे २६ य छोद्ियक्से २७ य। मरगय ২৫ मसारगल्ले *५ भुयमोयग ३० इदनीले ३१ य॥ ३॥ चदण ३२ भ्षेसय ३३ हखगब्म ३४ पुरूण ३५ सोगधिए ३८ य बोझब्से । चदृष्पम 2७ चेरलिपए ३८ जलकते ३९ सूरकते ४० य॥ ४॥” (अप्ला० सू० १५) १ छछठाय छे। ३ भा अकारे। ३ कलाइ घाठु 1 ४ द्गद्ोेक। ५ परपाक्ा । ঘ হানতে ।




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now