मध्यकालीन बनारस का इतिहास | Maddhyakalin Banaras Ka Itihas

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Maddhyakalin Banaras Ka Itihas by सचिन्द्र पाण्डेय - Sachindra Pandey

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्राप्त होता है काशिराज को धनुर्विद्या मे बहुत प्रवीण माना गया है । युद्द क्षेत्र मे काशी कारूष और चेदि की सेनाएँ घृष्टकेतु के नायकत्व मे थी | महाभारत मे कृष्ण द्वारा वाराणसी के जलाये जाने का वर्णन है । विष्णु पुराण मे भी काशी के जलाये जाने का वर्णन मिलता है । सम्बन्धित कथानक के अनुसार पौड़क नाम का एक वासुदेव था जो लोगो की खुशामद से बहक कर अपने को सच्चा वासुदेव समझने लगा था। उसने वासुदेव के लक्षणों प्रतीको को भी अपना लिया। तदन्तर उसने असली वासुदेव के पास अपना एक दूत भेजा और उन्हे सम्बन्धित लक्षणों को उतार फेकने तथा अपनी अभ्यर्थना करने का आवाहन किया । कृष्ण ने हँसकर दूत को वापस भेज दिया और पौड़क से कहलवा दिया कि वे अपने चिहन चक के साथ स्वय उसके पास आकर उपस्थित होगे। इसके बाद कृष्ण ने पौड़क की ओर प्रस्थान किया काशीराज अपने मित्र पौड़क की सहायता के लिए सेना के साथ उपस्थित हुए और स्वय सेना के पृष्ठभाग मे हो लिए। युद्द मे पौड़क और काशिराज दोनो ही मारे गये। कृष्ण द्वारका लौट गए। काशिराज के पुत्र को जब यह ज्ञात हुआ कि उसके पिता के घातक कृष्ण थे तो उसने शकर की आराधना किया और उनके प्रसन्न होने पर कृष्ण को नष्ट करने का वर मॉगा | शिव ने कृत्या का सृजन किया और वह द्वारका जलाने दौडी। उसे नगर की ओर आते देखकर कुष्ण ने चक को उसे नष्ट कर देने की आज्ञा दी। चक को देखते ही कृत्या भागी | चक ने उसका पीछा किया। इस तरह दोनो वाराणसी पहुँचे। काशिराज ने अपनी सेना के साथ चक्र का सामना करना चाहा। पर चक ने उसे मार गिराया और भीष्म पर्व अ. ५० द्रोण पर्व अ. २५ उद्योग पर्व १६८. पूर्वोद्धत ४७ ८४० विष्णु पुराण अनु एच एच. विल्सन लन्दन १८४० प/ ३४ पृ० ५६७. 13




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