बुन्देलखण्ड का संक्षिप्त इतिहास | Bundelkhand Ka Sankchipt Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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प्रारंभिक इतिहास ७ शाली राजा था। सम्राटू जरासंघ की श्रार से चेदि देश का राजा शिशुपाल साम्राज्य-सेना का झधिपति था । इससे जान पढ़ता है कि चेदि देश का राज्य भी जरासंघ के साम्राज्य के झंतर्गत हो गया था। श्रीकृष्ण ने जरासंघ को हराया था श्लौर शिशुपात्त को भी सारा था। उस समय द्वारका मे प्रज्ञात॑त्र राज्य था । श्रीकृष्ण द्वारका के प्रजातंत्र राज्य के राष्ट्रपति थे श्र जरासंघ तथा शिशुपाल झादि साम्राज्यवादी राजाओं से उनका ट्रष था । लरा- संघ श्रोर शिशुपाल 'की हार होने से सान्नाज्य टूट गया, परंतु चेदि मे एक-सत्तात्मक राज्य-संस्था चली झाई । १९--जरासंघ के साम्राज्य मे मिन्‍न-सिनन राज्य ते झपनी आंतरिक शासन-संस्था मे विलकुल स्वतंत्र थे, परंतु पररुपर सहायता के लिये जरासंध के में एक हो जाते थे । इससे जरा- संघ का साम्राज्य प्राधुनिक साम्राज्य से मिन्‍न था। चेदि राज्य के संबंध का इतना दी इतिहास मद्दाभारत में' मिलता है। दशा देश का हाल श्रौर भी कस मिलता है श्रौर जा छुछ सिल्ञा ऊपर लिखा जा चुका है। मद्दाभारत के युद्ध मे यहाँ के राजा को भग- दत्त ने सारा था | १३--चेदि दशाण ये दोनों एक-सत्तात्मक राज्य थे । इनकी राजसंश्या अन्य तत्कालीन राज्यों के समान दही रद्दी होगी। राजा राजघराने का दी व्यक्ति रहता था राजा के ज्येष्ठ पुत्र को चुना जाने का पहला झधिकार था। परंतु प्रजा ही राजा को चुनती थी । राजा झाठ मंत्रियों की राज-सभा बनाता था | (१ ) अष्टानां मन्त्रिणां मध्ये मन्त्र राजोपघारयेत्‌ । सद्दाभारत, शांतिपष 2१19 ३




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