भारत में मारवाड़ी समाज | Bharat Me Marvari Samaj

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Bharat Me Marvari Samaj by भीमसेन केडिया - Bheem Kediya

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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फरिच्छिद १ मारखाड़ी शब्द की व्यापकता राजपूत, राजस्थानी, बनिया इत्यादि शब्दों की अपेक्षा स्थानीय दाब्द माखाड़ी की व्यापकता आजकल अधिक और आमतौर से देखने में था रही है । हम किसको माखाड़ी कहें और किस आधार पर कहें, इस बात का निणय करना मामूली से ज्यादा मु्किल प्रतीत दोता है 1 कुछ ऐसी वात नहीं है कि खास मारवाढ़ श्रदेश निवासीकों ही मारवाड़ी कहा जाता इसका भी पत्ता लगाना बहुत मुश्किल है कि ऐसा क्यों होता है--- क्योंकि महाराज अग्रसेन का ऐतिहासिक जन्मस्थान पंजाब अंदेश में है, 'फ़िर भी अग्रवाल जाति के श्रायः सब को मारवाढ़ी हो कहा जाता है: । हमारे -समाज की प्रचलित रीतिरस्भों का मखौल उड़ाने वाली अन्य जातियों में विशेष परिचय के रूप में मारवाड़ी शब्द व्याप्त हैं और देश विदेश; स्वेत्र विशिष्ट अधि सहित इस दाब्द से सभी छोग परिचित हैं। अपनी विशेष वेशभूषा और बोलीव्के दायरे के अन्दर आया हुआ दर एक आदमी; 'वाहे वद्द जिस प्रात का निवासी हो, मारवाड़ी कह्दा जाता है और चू कि दुनिया के प्रत्येक भाग में अपनी व्यापार कुशलता के कारण मारवाढ़ी पाये जाते हैँ; मुख्यतः इसीलिये इस दाव्द की व्यापकता अधिक हो रही है । जो छोग हमें कादर, बेवकूफ और “आंख के और गाठ के पूरे” कद्दा करते हैं, रूप से भढे ही ने 'माखाड़ी' शब्द के घनिष्ठ सपर्क में मनोरंजन के “आधार पर दी रहते हों, परन्तु वस्तुस्थिति यह नहीं है। चस्तुस्थिति यद्दी हैक




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