प्राचीन जैन भजन संग्रह | Pracheen Jain Bhajan Sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
290
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ও সিসি
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पद
गिरनारी जाता राख ख्ीज्योज्ञी
৬ भि, भ
शरां म्दामै जात रूप तुमरे यह स्टौ लगौ
गलता नमता कव वेगा वि
गिरनार गया आज मेरा नेस दे दगा
गाफिल्ञ हुआ कहां तू डोले दिन जाते
घ
यदी घडी पल पल्ल दिन জিন
धर् श्नावोजी जियाजी सुख माणवा
घडी धन आज की येष सरे सव काज
घुर् बाजत मन नन नन नन नन
च
चुपरे मूढ अजान मसे क्या वतनावे
चल्लोरी सखी छवि देखन को
चलिये जिनेश्वर जिनेश्वर २
चि सही देष्लन नामिरोय घर
चेतन तै करुणा न करीरे
, 'चढनाथ पद चंद-चिन्द्र है
जिनमूरति द्रगधारी की मोहे रीति
चिदानद भूलिरघ्यो सुधिसारी
चरखा चलता नाहीं
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