प्राचीन जैन भजन संग्रह | Pracheen Jain Bhajan Sangrah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ও সিসি © সপ पद गिरनारी जाता राख ख्ीज्योज्ञी ৬ भि, भ शरां म्दामै जात रूप तुमरे यह स्टौ लगौ गलता नमता कव वेगा वि गिरनार गया आज मेरा नेस दे दगा गाफिल्ञ हुआ कहां तू डोले दिन जाते घ यदी घडी पल पल्ल दिन জিন धर्‌ श्नावोजी जियाजी सुख माणवा घडी धन आज की येष सरे सव काज घुर्‌ बाजत मन नन नन नन नन च चुपरे मूढ अजान मसे क्या वतनावे चल्लोरी सखी छवि देखन को चलिये जिनेश्वर जिनेश्वर २ चि सही देष्लन नामिरोय घर चेतन तै करुणा न करीरे , 'चढनाथ पद चंद-चिन्द्र है जिनमूरति द्रगधारी की मोहे रीति चिदानद भूलिरघ्यो सुधिसारी चरखा चलता नाहीं सस्या १६४ + २६२्‌ ३२४४ ३७५ णऊ ३१६ ३६४ ४४८ ५१ ६०9 -१९१ १४६ १५४ १६३ “२७३ शरण ,




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