जनपद जालौन की उरई तहसील में कृषि भूमि उपयोग पोषण स्टार एवं मानव स्वास्थय | Janpad Jalon Ki Urai Tahsil Mein Krashi Bhumi Upyog Poshan Evam Manav Swasthya
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
240 MB
कुल पष्ठ :
391
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)हमारे देश में अभी तक जो भी जानकारी कृषि भूमि उपयोग से संबंधित है बह अपूर्ण है तथा उसके सहारे किसी सार्थक
योजना का क्रियान्वयन सम्भव नहीं है | कृषि भूमि उपयोग के विषय में विभिन्न पंचवर्षीय योजनाओं में कई कदम उठाये गये हैं, जो
कि निम्नलिखित है ।
प्रथम पंचवर्षीय येजना में यह स्पष्ट कहा गया था कि भूमि उपयोग एवं वर्तमान फसल उत्पादन में सुधार के विस्तृत
उद्देश्यों के लिये देश में मुदा और भूमि उपयोग सर्वेक्षण सर्वाधिक आवश्यक है |!
फिर भी इस योजना में योजनाकारों ने न तो इस सम्बन्ध में कोई भी कार्यविधि ही प्रस्तुत की और न ही किसी ऐसे सार्थक
प्रायोगिक स्वरूप को प्रस्तुत किया जिसके फलस्वरूप सर्वेक्षण कार्य सम्भव हो सके | फिर भी इस योजना के अर्न्तगत सन् 1952
से 1956 के मध्य भूमि उपयोग सम्बन्धी कई प्रकार के कार्यक्रम संचालित किये गये जो कि क्ृषि क्षेत्र के गुणात्मक सुधार के लिये
अत्यंत उत्साह वर्धक सिद्ध हुये |
द्वितीय पंचवर्षीय योजना के अन्तर्गत 1958 में केन्द्रीय मृदा सर्वेक्षण परिषद ने भारत में मदा ओर भूमि उपयोग सर्वेक्षण
हेतु एक योजना प्रारम्भ की जिसके संचालन हेतु नागपुर, कलकत्ता, बैगलोर ओर दिल्ली मे क्षेत्रीय केन्द्र स्थापित किये गये जो मृदा
सर्वेक्षण अधिकारियों की देख रेख में कार्य करने लगे | 1960-61 में 120 लाख एकड़ भूमि का सर्वे किया गया जिसमें 20 लाख
एकड़ भूमि नदी घाटी योजनाओं के क्षेत्र में थी। द्वितीय योजना के अन्त तक इस प्रकार के सर्वेक्षण का क्षेत्र 2000 लाख एकड़
हो गया |”
तृतीय पंचवर्षीय योजना की प्रारम्भिक रचना के समय भूमि उपयोग की जिस योजना का बिइलेषण किया गया था वह
मुख्यतः भूमि उपयोग के दोषपूर्ण समायोजनों के निर्धारण और उसके निराकरण की दिश्ञा में ही किया गया था। जिसमें कृषि भूमि
जंगल और चारागाह भी सम्मिलित थे, परन्तु सर्वेक्षण पर आधारित विस्तृत आंकड़ों के अभाव में जो कुछ अधिकतम उस समय `
किया जा सकता था बह केवल भूमि उपयोग में असन्तुलन के कु क्षेत्रों का निधरिण एवं निराकरण इंगित कर सकता था। जहां
भी भूमि का दुरूपयोग हो रहा था वहाँ भूमि सम्बन्धी सांख्यकीय तथ्य उपलब्ध नहीं थे |
चतुर्थ पंचवर्षीय योजना की अवधि में 390 लाख एकड़ भूमि को खाद्याननों की अधिक उपज देने वालों बीजों द्वारा बोने का
तथा 250 लाख एकड़ को बहु फसली योजना के अर्न्तगत लाने का लक्ष्य प्रस्तावित किया गया था एवं इस लक्ष्य को प्राप्त भी कर
लिया गया | सन् 1980 तक भूमि सुधार के रूप में करमदाः 4.5 लाख हैक्टेयर भूमि की चकबन्दी भी की गई ।२
पांचवी पंचवर्षीय योजना के अर्न्तगत 131 लाख हैक्टेयर अतिरिक्त भूमि को सिंचन सुविधाओं के अर्न्तगत लाने का
प्रस्ताव किया गया था एवं जिसमे इस लक्ष्य को प्राप्त भी कर लिया गया था | ष
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