श्री जैन तत्त्वसार संग्रह | Shri Jain Tatva Saar Sangrah

Book Image : श्री जैन तत्त्वसार संग्रह  - Shri Jain Tatva Saar Sangrah

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(৬) मा पुत्त नी गपेक्षाए ग्यतुस्थ, भाई सी अपेजण्षाएं नगिसीत्व, स्वामिनों अपेध्म ए घीत्स शिगेरे क्रतेत धा सण. एम दरेक पदार्थ ने झनेसा हस्टि भी चिचारी ते पदार्थ মা বটল सर्व धर्मों स्वीकास्मा, सेनु नाम তাহার पंटखायं द মাল হল পি লাল লী কালা হলনা লন লী निर्गाय करवो অরন হানন লী লাল লিলালা है दरक बन्सु ने द्ध्य झने पर्याय 7म थे शोग ले मल वस्तु ने द्स्य वजल्ेधाय के झने तेसो घाद, प्राकार झादि पर्याय कहेवाय চট জমন্ধ লু মসুল পল ই সন ননাতী प्रादि तेना पर्यायों है ধান হীদি সাদা লু সুল ল্য টি সদ মনন मेयादिनेना पर्यायों घण यनै হইল पदायविमा द्रव्य মন ঘলাদ নী निवार न्ध्न्तो प्रा प्रभोग পালা লা দলা ग्ने पर्वायोनी परम विचारशा फरवी, दरेक অন্যন হল दृष्टिए विचारवी से द्वव्यारितिवा नये, शने पर्याय हगटिए विचारवी ते पर्वाग्रास्तिक सथ, :व्यास्तिद रय दरयो बस्तु नित्य छे ग्ने पयाया অরিন হন জনি द्धे লন লনীনী द््टिण दरेक वस्तु निम्यानित्य ৮ নদ সারলা प्रसा वन्नं नयोनी दृष्टिणु नित्यानिच्य दथ परन्तु अहिया द्रद्याग्तिक नय नी दृष्टिषु प्रान्मा निन्य यहेल छे विन! एटले व्यापक, जे पदार्थ जगत मा सर्व जग्याएं ब्यापी धाये ते सब व्यापी अने अत्प जग्याए व्यापी




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