हिन्दी साहित्य का नया क्षितिज | Hindi Sahitya Ka Naya Kshitij

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Hindi Sahitya Ka Naya Kshitij by राजेन्द्रमोहन अग्रवाल - Rajendramohan Agrawal

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ११} चरित्रों मे विश्लेष्रण का आग्रह-१९८, चाताबरण-१९९ कहानियों का मूल्यांकन-- १६६॥ अध्याय : ४-अंमिनव नाटय कृतित्व पष्ठ २०१२२३८ आधुनिक हिन्दी नाद्य विधा पृ० २०३--२१० 1 विषय সবহা-২০২, ভিদ্বী नादकों का उद्भ व-२०३, रेविहाद्िक नाटको कौ प्रयृत्तिणा--२०४, रेतिदासिक नाटको काविकासकाल-मासेन्दु युग--२०४, विकसित रूप--२०४; एकांकियों का उदभव-२०६, एकांकों का इतिहास--२०६, ऐतिहासिक नाटक भौर एकांशी-२०६ 1 छा० प्रतापनारायण टण्डन कै नाटक एवं एकाकी २१०-९६६ ६ नाको कः वर्पाकरण देति ताटक~-स्वरगं यत्रा-२१०, सामाजिक मादक ¦ पलत फहमी भौर नौ हजार फी चपत-२१०, हास्य नाटक ~ नवाब कनकोओआ भोर टेलीप्राम-२१० । कपावस्तु-ऐतिहासिक बयावस्तु-२११, नवीतठा-२१२, वार्य व्यापार बी अवस्पाएँ-२१२, हास्य एकोकी--२१५, सामाडिक एरांकी-२१६, प्रंपपं--२१७, मंप्रेजी नाटकों ढा प्रमाव-२२१, घरित्र-चित्रण-२२२, अन्तर ईद्प्रधान चरित्र-२२५१ झंदाइ--उंदादों का माष्यम--२२६, संवादों के प्रकार-स्वगत-कपत-- ९२९, षषागनि प्रेरक शयन --२६३०, सूयक बधन-२३० भावा-२११; दय विधाने का विभावन--र२३२, विन दरय--२१३, रंगमेच वो दृष्टि से लाटशों का अवलोकत--२३३, रंग निर्देश--२३३, रंगो से दाता- बरण भृशत--२ ६४, साटकों वी पृष्ठभूमि-२३६, दौज योजरा--२३६, गाटडढः हब एकौडियों वा घरातत-दचार्थदादी--२३७, निष्रपं-२३८।




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