साहसी राजपूत | Sahasi Rajpoot

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Sahasi Rajpoot by द्वारिका प्रसाद "मौर्य"- Dwarika Prasad "Maurya"

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) तो अपने कतंव्य में ही संतोष था | इस पदत्री को पाकर उर्ल्हेँ कोई विशेष प्रसन्नता न हुई । यद्यपि राय बावू सरकार की राजभक्त प्रजा होने में ही अपना गौरव सममतते हैं परंतु मरकार के पक्षयात और अन्याय सहन करने में वे सवंधा असमर्थ हैं। उनका कहना है कि जब तक सरकार हम पर न्याय की दृष्टि रखती है तब तक ऋ हमारे लिये खव कड है परन्तु जहां वह्‌ अन्याय करती है, जहाँ हमारे ससं को हमसे छीनती है श्रौर जहाँ पत्तापात करती है तरह वह सरकार लतो हमारी सरकार है ओर न हम उसकी प्रजा । यही कारण है कि सरकार भी हमारे राय गंगासिह पर यदि एक आंख मित्र भाव की रखती है तो दूसरी उनके. निरीक्षण की | । मुसलमानों का बकरा ईद्‌ त्योहार निकट था | यद्‌ त्योहार और कुछ नहीं केवल कछुर्चानी का त्योहार है। इसी अवसर पर मुसलमान उन्हीं गायो के गले पर जिनका हिन्दू गोसाता कद्दते हैं छुरी फेरते हे और वदी उनकी कुबानी होती है। आज के दिन एक नहीं हजोरों ओर लाखो'गायें कटती हैं | प्रत्येक मुसलमान कुत्रोनी करना अपना धार्मिक वर्तव्य समझता है। जिस पवित्र भूमि मे एक हिन्दू ঘুল সাক देकर भी गोरज्षा करना अपना धर्म समकता था उसी भूमि पर मुसलसान)आज गायों की कछुबानी द्वारा अपने धर्म की मयोदा बढ़ाते हैं। समय की गति भी विचित्र है। अम्तु.




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