मणिभद्र [पुष्प 14] | Manibhadra [Pushp 14]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
160
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)गोपीचंदजी चोरडीया व श्री बरधसिहजो
हीराचंदजी वेद की ओर से खूब ठाठ से
पूजायें पढ़ाई गई । आज तकं उत्सव महो-
त्सवीं में भी ऐसी उपस्थिति देखी नहीं गई।
पुस्तक जी के जुलूस का लाभ श्री सुशील
कुमार जी छजलानी ने लिया ।
महावीर जन्म वांचना दिवश्च पर
विशाल जन समुदाय के बीच, जयपुर के
महान तपस्वी सदुगृहस्थ व गत १५ वर्षो से
मौन आराधक श्री अमरचंदजी नाहर के
हाथों मास क्षयण तप के सबही तपस्वियों
का बहुसान संघ की ओर से किया गया।
रजत की रकेवी व प्याले के साथ जयपुर
मण्डन भगवान महावीर के सुन्दर जडति
चित्र भेट किये गये ।
मणिभद्रः के तेरहवें अद्भू का अनावरण
मांस क्षमण तप के , तपस्वी श्री इन्द्रचंद जी
चोरणीया के हाथों सम्पन्न हुआ 1
गत॑ वर्ष चातुं मास में विराजित पन्यास
प्रंवर श्री विनय विजयजी महाराज के शिष्य
असंध्य रोग से पीडित होगये थे। काफी
चिकिंत्साओं के बाद जयपुर के प्रमुख जन
सेवी वेद्य श्री रामदयालजी ने महा राजश्री को
स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कराने का यज्ञ प्राप्त
किया था। इस हेतु संघ की ओर से आपकश्वी
का अभिनन्दन भी किया गया ।
संघ के उपाध्यक् श्रीं हीराचंदजी एम.
राहु कं पिताश्री, उच्चकोटि के धार्मिकं
आराधक व दाता स्व० श्री मंगलचंदजी
चौधरी जिनका इस संस्था से वहुत निकट
का सम्बन्ध रहा था, के चित्र का अनावरण
संघ के अध्यक्ष शाह कस्तू रमलजी के हाथों
सम्पन्न हुआ।
जन्म वांचना समारोह का उत्साह देखने
योग्य था स्वपनजी की बोलियों के प्रति दृष्टि-
गोचर होने वाला उत्साह इस संस्था के प्रति
अनन्य विश्वास का प्रतीक वन गया था।
लक्ष्मीजी की बोली का लाभ श्री स॑रदारमलं
जी छाजेड़ ने छिया। चार हजार की उप-
स्थिति के बीच यह समारोह सम्पन्न हुआ
जन्म की प्रभावना श्री ही रांचंदजी एम. शाह
की ओर से हरवर्ष की भांति ही हुई !
भादवा सुद २ को उपाध्यक्ष श्री हीरां
चंद जी एम. शाह के हाथो आत्मानन्द सेवक
मण्डलक व धार्मिक पाठशाला के विद्यार्थियों
को पारितोषक वितरित किये गये ।
भादवा सुद ३ को मास क्षमण तप के
तपस्वी श्रीमती भवंरवाई वेद (धर्मपति
श्री ब्ुधसिहजी वेद) श्री इन्द्रचंदजी चो रडीया
व श्रीमती शीतलरूबाई भंसाली (धर्मपत्नि
श्री नेमीचंदजी भंत्रोली) का भंव्य वरघोड़े
का कार्यक्रम रहा । इस अवसर पर जयपुर
नरेश महाराज श्री भवानीसिहजी इस संर
थान में पधारे श्रीमंदिरजी में भेट चढ़ाने के
बाद सारे मंदिर व आटे गेलरी का अवलो-
कन कर अतिप्रसन्नता जाहिर की फिर आप
आत्मानन्द सभाभवन में पधारे | आपने मास
क्षमण तप के तपस्वियों को माला पहिनाई
व साध्वीजी म. श्री निर्मछाश्रीजी से तप के
महत्व पर प्रवचन सुना, संघ की ओर से
जयपुर नरेश का स्वागत किया गया उन्हें
भगवान महावीर का सुन्दर जडति चित्र व
साहित्य भेट किया गया । यह पहला अवसर
था जव नरेश इस संस्था मे पध।रे थे । आपने
इस संस्था का इतिहास जानने की जिज्ञासा
प्रकट की । आर्ट गेलरी व सेवक मण्डल द्वारा
निर्मित श्री शत्रु जय की रचना से अत्यधिक
प्रभावित हुये । आपने फिर भी यहां आने की
भावना जाहिर की । इस आयोजन के वाद
तपस्वियों का विज्ञाल 5 लूस रवाना हुआ।
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