गीतातत्त्वांक | Geetatattvank

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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(८) चित्र-सूची पृष्ट-संख्या सुनहरी १-पुरुषोत्तम-तत्त्व ( श्रीजगन्नाथ ) = হুর २-भ्रीरामकी झांकी ( 9 ) ° ६२३ ३-भश्रीमगवानू ८ » ) *** ६७१ অভ ४-जगद्ुरु श्रीकृष्ण ( श्रीजगन्नाथ ) मुखपृष्ठ ५-भक्तवर अजन ८ श्रीजगन्नाथ ) म १ ६-भ्रीमधुसूदन सरस्वतीको परमतत्वके दर्शन ( श्री- विनयकुमार मित्र) `“ व ५ ७-श्रीशड्राचार्य ( श्रीजगन्नाथ ) = हद ८-गीताप्रचारक आचार्य (+; ) १५, হু १-श्रीरामानुजाचार्य । २-पश्रीनिम्बाकाचार्य | ३-श्रीमध्वाचार्य । ४-श्रीवल्लभाचार्य । ९-योद्धावेशमें भगवान्‌ श्रीकृष्ण ( श्रीवनयक्रुमार मित्र ) *** १३७ १०-सञ्ञयको दिव्यदृष्टि ( श्रीचिनयकरुमार मित्र ) १७३ १९-धृतराष्-मञ्ञय ( 3) ) १७६ १२-दुर्योधनका मैन्यपदर्दन ( + )*** १७७ १२-पाण्डव-सेनापति धृष्द्ु्न ( » )'** १७८ १ ४-ृष्टयुप्न ओर द्रौपदीकी उत्पनि ८ श्रीनरजेन्द्र ) १७९ १५-चीरवर अभिमन्यु ( श्रीजगन्नाथ ) == १८० १६-गुरुद्रोणाचायं ( +» ) “৯৪. १८१ १७-भीष्मपितामद ( 3)» ) ** १८२ १८-महावीर कण ( + ) ** श्ट३ १९-शरणागत अर्जुन ( >» ) *** २१३ २०-स्थितप्रश ( श्रीविनयकुमार मित्र ) न= २५९ २१-प्रजापतिकी शिक्षा ( » ) শত २९४ २२-अमृत-भोजन जौर पाप-भोजन ( श्रीविनयकुमार मित्र) র্‌ २९७ २३-लोकसंग्रह ( श्रीविनयकुमार मित्र ) ००“ ३०९ २४-भोगोकी ओर भौर भगवानकी ओर ( भीविनय- कुमार मित्र ) এ ˆ“ ३३६ २५-सूर्यको उपदेश ( श्रीविनय कुमार मित्र ) *** ३४२ २६-अवतार ( श्रीजगन्नाथ ) *** “““ ३५१ पृष्ठ-संख्या २७-देवोपासना ( श्रीविनयकरुमार मित्र ) *** ३५६ २८-विविध यश (5) ১০ २९-गुरु-शिष्य (3) ““* ३८७ ३०-समदर्शिता () ˆ“ ४२१ र १-काम-क्राघपर विजय (3; ) *** ४३१ ३२-समदर्शी योगी ( श्रीजगन्नाथ ) *“ ४४७ ३ ३-ध्यानमम्न भगवान्‌ शङ्कर ( भ्रीरामप्रसाद ) ४५६ ३४-ध्यानयोगी ( श्रीविनयकुमार मित्र ) ४६७ ३५-सब काययम भगवद्‌-दष्टि (৮) ४७९ २६-भगवान्‌ सवंमय (9) *** ५०६ ३७-अर्थार्थी भक्त ध्रुव (9) ˆ ५१२ ३८-आतं भक्त द्रौपदी ( श्रीदेवलालीकर ) *** ५१३ ३९-जिज्ञासु भक्त उद्धव ( श्रीविनयकुमार मित्र > ५१४ ४०-ज्ञानी भक्त प्रह्मद (7) ˆ“ ५१६ ४९-अनन्य चिन्तनका फल (५99) ०० ५४७ ४२-मजन करनेवाले भक्त (9) ) ५८१ ४३-योगक्षेम-वहन (9) ২৮৮ ५९१ ४४-भगवत्पूजन (9). 2 ५९५ ४५-पत्रः पुष्प, फल, जलका प्रहण(93) ६०१ (१) द्रोपदी (२) गजेन्द्र (३) शबरी ( ४ ) रन्तिदेव ४६-भजनकी महिमा ( श्रीविनयकुमार मित्र) ६०७ ४७-दुराचारीसे भक्त बिस्वमंगल (9) **' ६११ ४८-सत्री, वैश्य शूद्रादि भक्त ( श्रीजगन्नाथ ) ** ६१५ (१ ) समाधि वैश्य (२) सज्ञय ( ३ ) यज्ञपत्री ( ४ ) गुद् निषाद ४९-पुण्यात्मा ब्राह्मण सुतीक्ष्ण ओर राजिं अम्बरोपर ( श्रीजगन्नाथ ) ক * ६१८ ५०-सप्तर्षि, मनु ओर सनकादि ( श्रीविनयकुमार मित्र ) *** ६२८ ५१-भक्तोंके भाव ( श्रीविनयकुमार मित्रे) ˆ“ ६३४ ५२-महर्पि व्यास, देवप नारदः महिं अमित ओर देवर ( श्रीजगन्नाथ ) -** ६३८




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