नगरपालिका परिषदों के संगठन एवं कार्यपाणाली का आलोचनात्मक अध्ययन | Nagerpalika K Sangathan Karyaprnali Ka Alochnatmak Adhyayan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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1. प्रान्तीय सरकार को लकवे से बचाती है । स्थानीय संस्थाये शासन मेँ प्रत्यक्ष रूप से भाग लेती ই तथा अपनी समस्याओं को स्वयं सुलञ्चाती है। स्थानीय जनता का पूर्ण सहयोग इन संस्थाओं को | मिलता है। फलतः जनता शासन के निकट पहुंचती है। मारत जैसे विशाल विकासशील देश के लिये यह और भी आवश्यक हो जाता है। क्योंकि भारत में एक ओर तो समस्याओं की संख्या काफी है ` तो दूसरी ओर अपर्याप्त साघन है। एेसी परिस्थिति मे जनसहयोग द्वारा ही कम खर्च पर स्थानीय समस्याओं को सुलझाया जा सकता है। जनसहयोग द्वारा ही लोकतंत्र को यथार्थ बनाने में सहायता मिलती है। स्पष्ट है कि स्थानीय शासन का उत्तरदायित्व उन सब सुविधाओं को जुटाना है, जो शारीरिक , आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन को अधिकाधिक अच्छा बनाने के लिये | आवश्यक होती हे। ओयोगिकीकरण एवं नगरीकरण के फलस्वरूप स्थानीय शासन के कार्यो मेँ पहले की अपेक्षा कहीं अधिक वृद्धि हुई हे। भविष्य मे इससे मी अधिक स्थानीय शासन के कार्यों में वृद्धि होने की संभावना बढ़ रही है। अन्त मे यह कहना उचित होगा कि स्थानीय शासन राजनीतिक अनुमव को बढावा देता हे। वह लोकतात्रिक पद्धति पर आधारित सृजनात्मक क्रियाकलाप करता है। लोकतत्र मे नमनीयता, शक्ति तथा सम्पन्नता क विकास में योग देता है। इस सन्दर्भ में जेक्स एडवई लिखते हे, “जिन देशों में स्थानीय शासन कं अग केन्द्रीय सत्ता कीं मुट्ठी में रहकर काम करते हे, वहां प्रशासन कीं सुयोम्यता मले ही अधिक हो, किन्तु वहां की जनता का राजनीतिक चरित्र असन्तोषजनक होता हे। दीर्घकाल तक जनता उदासीन बनी रहती हे ओर किर खतरनाक ठंग से उत्तेजित हो उठती ` है। परिणामस्वरूप केन्द्रीय सरकार अस्थिरता और भ्रष्टाचार का शिकार बन जाती है। इसके विपरीत ` जिस देश में स्थानीय शासन सुदृढ़ होता है, उसकी गति धीमी हो सकतीं हे, किन्तु उस देश कीं प्रगति ` अवचिल तथा सुस्थिर होगी ओर वहा राजनीतिक स्थिरता ओर इमानद्छरी देखने को मिलेगी । * ° धि ০ ॥, , 1 5 2




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