कांग्रेस का उत्तरदायित्व | Congress ka Uttardayitva

Congress ka Uttardayitva by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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५ (१३ ) छोड़ कर--किन्तु आधुनिक भाषा से, अराजकता को सौंपकर--अलहदा हो जाना पड़ेगा, और उस अराजफता का फल कुछ ससय तक गृह-युद्ध মলা सर्वत्र डकेजनी हो सकता है ।” “मेने अंग्रेजों से यह नहीं कहा फ्रि वे भारतदप को कांम्रेस अथवा हिन्दुओं के हाथ मे सॉप दें | भले ही वे भारत को परमात्मा फे भरोसे अथवा आधुनिक भापा में अराजकता के हवाले फर दें । तच सारे दल एक दूसरे से : छुम्ता की तरद्द लड़ेंगे अथवा, जब उन्हें वास्तविक उत्तरदायित्व का चोध हो साथगा, विवेकपृ्ण ममझीता कर लेंगे। से उस श्रव्यवस्था शरीर चिश्वेंखलता सें से अर्दिसा के उदभव की आशा करता हूं । इस विवय में श्री गांधी के सन्देहा का राजगोपालाचारी ने भरी समर्थन किया था जोकि श्री गांधी को लिखित उनके पत्र (परिशिष्ट २) से स्पष्ट है । ` प्रष् १८--१९ पर्‌ चरित अन्तिम तीन चाद्य उदेश्यों की विस्तृत समीक्ा करने फी कोई आवश्यकता सहीं जान पड़ती | यह देसा जा सकता है कि उस तीनों में निम्न बातें समान है; थे भारत पर लागू नहीं होते श्रौर वे केवल भारत के प्रस्तावित आन्दोलन के संसार पर होने वाले प्रभाव से ही सम्बद्ध है । यह निश्चय ही अरंपूर्ण है. कि इन तीनों उद्देश्यों को भथस घार वम्ब के प्रस्ताव में टी स्थान दिया गया था, अर्थात्‌ उस समय के बाद जबकि कांग्रेस की बृटेन 'पौर अमेरिका में तीत प्राशोचता फी जा रही थी, क्योंकि उसे लगभग संसार भर में ही मिन्नराप्ट्रों के उदेश्य के प्रति विश्वासधादी समझा गया था। इसलिए प्रस्ताव से हम उद्चेयों फी पृद्धि इस आलोचना या टी फल ससमना चाहिए। क्या इस अस्ताव के निर्माता सचशुच्च यश विश्वास फरते थे फि यदि कांग्रेस की सांग मान जी गयी सत्र ঈ অযু ফাকা ছি उद्देय से बाधा पहुँचाने फी बजाय सहायक हो सर्फेंगे, चर क्या उनका ঈলা ही अभिष्राय भी था ? यह दो प्रश्नों के उत्तर पर निर्भर है! १--क्या ईमानदारी से उक् परिणाम चाइसे वाली सलुन्यों की कोई भी संस्था, व्ययते बाछित भाग के स्वीकृत ने होने पर, देश का ऐसे व्यापक चआास्दोलस में भाग लेने फे लिए आदान करेगी जिसका उ्दूपोषित ह्वेश्य सम्पूर्ण शासन व्ययस्था प्रीर सम्पूर्त युद्ध प्रथलों को छिप भिन्न करफे ठीक्ष विपरीत प्रभाव उत्पन्न वस्ता. या ? २-एेू वर्ष से भी कम समय पथ ही शी गांधी ये: आदेश से घोधित किया गया था फि युद्ध मे অন্ন से सहायता करना पाप है। उसे यार উ হজ ছে মা ইল উর किया जा सकता है कि इस लोगों ने पटेल हे सेकट को सुष्पय्सर समझा '्थीर संयुक्त राष्ट्रों पाए भाग्य पर ये भूतया देस सया गुद्ध को दिश्त अपने पत्त मे मदलने से पूरे ही--यतरि झमी पैसा होगा भी था--मपनी राजरीतित ससों यो पूर। दश्दासे के लिए उस म्या क्षण से लाभ उसना जाग ? তন कोने भक्तो च उतर पटर पर गी पोष जाता है प्याय्‌ ই * आन्दोलन का पिदेखचित स्वरूप




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