गुरुभक्तिप्रकाश | Gurubhaktiprakash

Gurubhaktiprakash by रामस्वरूप - Ramswarup

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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हर ললুইর্টার্টটউঁ্া गरुभक्तिप्रकाश । ९ ~--------------- তা चापाई॥ कोइ जाय पंडितको लाया। आदर करिके ताहि बिठाया ॥ भाई बंध सब लिये बलाई। रोलीसीं- प सज धरवाहं ॥ भरि परात बीड़े जहूँ राखे। प्रागदास ब्राह्मणर्स भाखे ॥ करि प्रणाम जो ऐसे बोले । नाम घरो शभदिन कहो खोले॥ जबे बि- घ्र पत्रा करलीन्हा । ताको नैक नेक करि चीन्हा॥ जब हिजने हँस बचन उचारे | याके गिरहपडे अतिंभारे ॥ यह बालक हेहे बड़भागी। स॒र-' लीधर की दत्तव जागी ॥ हेहै भक्त महाउप- कारी । मानों कृष्ण अंश ओतारी ॥ ५७॥ दोहा ॥ नर नारी बह पजि जपि याको जाप ॥ ২৩১ ०५ ये तो आये जगत में दूर करनकूं पाप 4४८॥ चापाई ॥ सन दादी यशदा हरषाई।फली तनमे লা समाई ॥ मवन माहिं बोली म्ठुबानी। मिश्र कही हम सांची जानी ॥ जनमलेत यह अचरज পাশা ------- শী -




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