उपेन्द्रनाथ अश्क के उपन्यास | Upendranath Ashk Ke Upnyas

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Upendranath Ashk Ke Upnyas by कृष्ण कुमार सौगवान - Krishna Kumar Saugvan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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दृष्टिकोण है, जिसमें अबौद्धिक धारणाओं, मिथ्या मान्यताओं व कुण्ठित चिन्तन का कोई स्थान नहीं। व्यावहारिकता, यथार्थता, मानव प्रगति में आस्था, रूढ़ियों का परित्याग, प्रयोगधर्मिता व दृष्टिकोण की वैज्ञानिकता ही इसके गुण हैं। बौद्धिकता मानव की मानव रूप में प्रतिष्ठा, नगर सभ्यता का प्राधान्य, प्रजातान्त्रिक मूल्य, वर्तमान के प्रति तीव्रतम सजगता, परम्परा-संशोधन जिसके लक्षण हैं | जो भूतकाल लेकर भविष्य में हो सकने वाली घटनाओं को बुद्धि की तुला पर तौलकर ही सत्य को स्वीकार कर पाता है तथा अतिरंजनाओं को दो ट्क नकार देता है।.. = आधुनिकता के स्वरूप को और अधिक स्पष्ट करने के लिए निम्न बिन्दुओं पर विचार कर लेना उपयुक्त प्रतीत होता है- (ख) आधुनिकता ओर अतीत जिस प्रकार रत्रिकाल के अन्धकार कौ चीरकर दिन का उजाला फूट पडता हे, उसी प्रकार अतीत के गर्भ से आधुनिकता जन्म लेती है | इसलिए “आधुनिकता की शर्तों मे सबसे पहली शर्त इतिहास बोध की है |“ स्पष्टतया ऐसे में आधुनिकता की अतीत से निरपेक्ष व्याख्या करना छलावा मात्र है। इसके बावजूद भी कषठ विद्वान फैशन की झोंक में आधुनिकता को पूर्णतया अतीत से निरपेक्ष मानकर कहते हैं कि यदि कोई अध्ययन प्रणाली उसके असली ओर विशिष्ट गुण की ओर अखे मूदकर उन्हीं गुणों की ओर इशारा कर पाती है, जो वह पुरानी परिपाटियों से शेयर करती. है ओर वह आधुनिकता के बारे में कुछ भी नहीं बताती या बहुत कम बताती है और यदि इसी को सब कुछ बताने के बराब राबर कह देती है तो हमें गुमराह भी करती है।”” वै आगे कहते है कि इस आधुनिकता का एक पहलू वह है जो वह बीते हुए से शेयर ` करती है और दूसरा वह है जो उसकी अपनी देन है, उसका अपना विशेष गुण हे | 2 .. 16. डॉ० हजारी प्रसाद, आलोचना, अंक जुलाई, 1967, पृ० 32 17. डॉ० विपिन अग्रवाल, नयी कविता, अंक-7, ঘুণ 31 `




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