बनारसीविलास और बनारसीजीवनचरित्र | Banarasivilas Aur Banarasi Jivan Charitra

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Banarasivilas Aur Banarasi Jivan Charitra by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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| १ নং ६ ६ 1 8 ५ 6 २ ক कि हे রং $, &. ह £ ह फू (+ कै के हा कक नै | रे টি ४४८ 4८१ ८५2८ द ५ সি [पे 1 হক < রি ছি 4 | कर्विवर्‌ वनारसाद्रासजी 1 सजी | না | 3 1 ৮ সম कनै २ ( | मादस्वामिख्जनजनक स्पा (६ ঃ (1 ५ द्रां शक्तास्तदिद न फट सजना त. ॥ ४ काचित्तेपां वचनरचना येन सा ध्वस्ददोपा हि म, ६ % यां शण्बन्तः दामितकटपः निटति यान्ति तखाः ॥ ४६५ ¢ | (दुमापितसन्देहे ।) + |. इस संसार सजनजन जो फलदेते हैं, वह माता, स्वामी, सूजन, / 3 पिता, भाता, सीजनादि कोई भी देनेको समर्थ नहीं है। दोपोंको / * विध्वंस कृरनेवाटी नकौ वचनरचनाको मुनकर्‌ लीवधारी शरमित- | দন্ত (হর) হীন নিবি গা কব हैं । पटकगण | कपिवर वनारपीदासरजीक य॒मपख्को देनेवारी संग हमे पराप्य नदीं है । कयो मरे अब इस ठोक नहीं हैं। किन्तु हारे शुमकमके उदयसे उनकी निर्मर -वयन-रदन। {४ 3 (कविता) अब भी अक्खती होकर विधमान है, जिससे सम्पूर्ण ए! मे सांसारिक कछुप (पाप) क्षय हो सक्ते है| उन আধুনা कविवरकी ॥+ ५1 क्ीतिकीमुददी केसी ्रफुथ्ति हो रही है! वह उस्ज्यह चौदनी ¢ >| आत्मक्ा जुमवन करेवा पुत्पोकि हयम एक अनकक भ শী নানা प्रवेश करती है, मिससे उन्हें स॑षारकी मोटा = 3 उत्तापित नहीं करती। ‰ चनि महाभाग्यक्षो बचनरचता ऐसी নিত জী তন ই, 51 उसकी जीवनकथा जाननेकी क्रिसकों इच्छा ने होगी! और बह र १ ह। अह करनेक्ी कितती आवश्यकता नहीं हैं! ऐसा सोचे करे हमने +२ ই पाए ২০8 कनौ १ सू >




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