नामालेखा और मुनीबी | Nama Lekh Aur Munibi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
700
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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तीसरा अध्याय ¦ बीमा कस्पनिर्यो के दिसाव , `
बीमा किसे कहते हैं ? इंगलेंड में रजिस्टर्ड बीमा कम्पनियों के पेश करने के नकश । भारतवर्ष
म वीमे आ कानून। प्राविडेंट इन्श्रेंस सोसाइटी ॥ जीवन জীলা का व्यापार करने वार्लों के लिए
प्रतिबंधः ( $ ) कट्टोलर के पास जमाः ( २) सालाना नकशे । युनाइटेड क्रिंगडम में रजिस्टर्ड बीमा
कस्पनियाँ इन अतिबवों से झुक्त हों सकती है।
इकतीसवाँ अध्याय ; मूल्यापकर्ष करने की भिन्न २ शैलियाँ
मूल्यापकर्प स्वाभाविक दै 1 जच्छा और बुरा परिवर्तन । डिप्रीसियेशन यानि अपकर्ष। अप-
कप का हिसाब में समावेश करते में मतभेद | अपकष के कारण । अपकर्ष के हिसाब की भिन्न २
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शेलियाँ। मूछ कीमत वकार कमत आर जीवनावधि' । स्थिर किस्त पद्धति ।'स्थिर किस्त पद्धति
के दोष । घटी कीमत पद्धति। चार्षिक वृत्ति द्वारा अपकषे । अपवर्ष या परिशोध कोप पद्ूति ।
৬
अपकर्ष दोप कै धन प्रयोग में विचारणीय वातं । घीमा पालिसी पद्धति | पूनम ढ्य निर्धारण द्वारा
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अपकर्प । मरस्मत, नये करण व एवजीकरण के लिए प्रति चर निश्चित रकम प्रथक् करने की पद्धति ।
भपकपं की द्र 1
वत्तीस्वो अध्याय ; दिवालियों के दिसाव,
कानून दिवाख्यि का उदे श्च । प्रेसीडेंसी और प्रान्तीय द्वालिया कानून में भेद | दिवालिया
कैसे करार दिया जाता है? रिसिविंग जाढंर से ७ दिन में दिवाल्यि को विवरण पतच पेश करना
, श्येता है। दिवाडिये का स्टेटमेंट आफ अफेभ्रस ।
तेतीसवाँ अध्याय ; चलानी के हिंसाब
बिक्री का महत्व । उपयुक्त हिसाव का ढाँचा घढ़ने को कठिनाइयाँ । विक्री के भेद । चलानी
किसे कहते हैं ? चलानी में कानून अमानत और एजेन्सी ही छागू होता है। दलाल । फैक्टर ।
कमीशन एजन्ट | डेल्क्रेंडेरी एपजन्ट। चकानी और बिक्रो में भेद । बलानी और पसंदगी की निक्त में
भेद । चलानी के हिसाब के दो तरीके। प्रोफार्सावीजक । चलानी का खर्च भआदृतिये पर जोखमी
हुण्डी । अकाउण्ड सेल यानि विक्रे । चलानी का हानिकास । चलानी करने वाले के हिसाब रखने के
तरीके । चलानी पाने वाले के हिसाब रखने के तरीके । पसंदगी पर विक्री। अकाउण्ट करंट यानि
বান | व्याज फैलाने के भिन्न २ तरीके । एवरेज ड्यू डेट । क्लब और सोसाइटियों' के हिसाब ।
चौतीसबों अध्याय : इनकम टेक्स के हिसाब
आयकर का पूर्व इतिहास । सुपरटेक्स और एक्लेस प्राफिट टैक््श । भायकर का छेतर ]
आयकर गतधर्ष की भायपर लिया जाता है। गनवर्ष किले कहते हैं ? देशी वर्ष भी गतवर्ष मान
जाता है। इनकमटैक्स और सुपरटैक््स की दर। इनकसटेक्स में सर चाज भो छगता है ।
मन आयों पर आयकर नहीं छगता ? किन जायों पर आयकर लिया जाता है? चेतन। इनकम.
टैक्स झुआफ चेतन । सिक्यूरिटिज का व्याज। जायदाद की आमद्। जायदाद का वार्षिक
५,५८--१८५.
५८६.-६०२
६०२-६०६
६०६-६२४
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