नामालेखा और मुनीबी | Nama Lekh Aur Munibi

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Nama Lekh Aur Munibi by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[११ ] तीसरा अध्याय ¦ बीमा कस्पनिर्यो के दिसाव , ` बीमा किसे कहते हैं ? इंगलेंड में रजिस्टर्ड बीमा कम्पनियों के पेश करने के नकश । भारतवर्ष म वीमे आ कानून। प्राविडेंट इन्श्रेंस सोसाइटी ॥ जीवन জীলা का व्यापार करने वार्लों के लिए प्रतिबंधः ( $ ) कट्टोलर के पास जमाः ( २) सालाना नकशे । युनाइटेड क्रिंगडम में रजिस्टर्ड बीमा कस्पनियाँ इन अतिबवों से झुक्त हों सकती है। इकतीसवाँ अध्याय ; मूल्यापकर्ष करने की भिन्न २ शैलियाँ मूल्यापकर्प स्वाभाविक दै 1 जच्छा और बुरा परिवर्तन । डिप्रीसियेशन यानि अपकर्ष। अप- कप का हिसाब में समावेश करते में मतभेद | अपकष के कारण । अपकर्ष के हिसाब की भिन्न २ বসি प्‌ ६ 9 ६ „_ ^ १ तै & ~ 9 [क क्रि | পি ११७ ক शेलियाँ। मूछ कीमत वकार कमत आर जीवनावधि' । स्थिर किस्त पद्धति ।'स्थिर किस्त पद्धति के दोष । घटी कीमत पद्धति। चार्षिक वृत्ति द्वारा अपकषे । अपवर्ष या परिशोध कोप पद्ूति । ৬ अपकर्ष दोप कै धन प्रयोग में विचारणीय वातं । घीमा पालिसी पद्धति | पूनम ढ्य निर्धारण द्वारा চি €২ क পি अपकर्प । मरस्मत, नये करण व एवजीकरण के लिए प्रति चर निश्चित रकम प्रथक्‌ करने की पद्धति । भपकपं की द्र 1 वत्तीस्वो अध्याय ; दिवालियों के दिसाव, कानून दिवाख्यि का उदे श्च । प्रेसीडेंसी और प्रान्तीय द्वालिया कानून में भेद | दिवालिया कैसे करार दिया जाता है? रिसिविंग जाढंर से ७ दिन में दिवाल्यि को विवरण पतच पेश करना , श्येता है। दिवाडिये का स्टेटमेंट आफ अफेभ्रस । तेतीसवाँ अध्याय ; चलानी के हिंसाब बिक्री का महत्व । उपयुक्त हिसाव का ढाँचा घढ़ने को कठिनाइयाँ । विक्री के भेद । चलानी किसे कहते हैं ? चलानी में कानून अमानत और एजेन्सी ही छागू होता है। दलाल । फैक्टर । कमीशन एजन्ट | डेल्क्रेंडेरी एपजन्ट। चकानी और बिक्रो में भेद । बलानी और पसंदगी की निक्त में भेद । चलानी के हिसाब के दो तरीके। प्रोफार्सावीजक । चलानी का खर्च भआदृतिये पर जोखमी हुण्डी । अकाउण्ड सेल यानि विक्रे । चलानी का हानिकास । चलानी करने वाले के हिसाब रखने के तरीके । चलानी पाने वाले के हिसाब रखने के तरीके । पसंदगी पर विक्री। अकाउण्ट करंट यानि বান | व्याज फैलाने के भिन्न २ तरीके । एवरेज ड्यू डेट । क्लब और सोसाइटियों' के हिसाब । चौतीसबों अध्याय : इनकम टेक्स के हिसाब आयकर का पूर्व इतिहास । सुपरटेक्स और एक्लेस प्राफिट टैक्‍्श । भायकर का छेतर ] आयकर गतधर्ष की भायपर लिया जाता है। गनवर्ष किले कहते हैं ? देशी वर्ष भी गतवर्ष मान जाता है। इनकमटैक्स और सुपरटैक्‍्स की दर। इनकसटेक्स में सर चाज भो छगता है । मन आयों पर आयकर नहीं छगता ? किन जायों पर आयकर लिया जाता है? चेतन। इनकम. टैक्स झुआफ चेतन । सिक्‍यूरिटिज का व्याज। जायदाद की आमद्‌। जायदाद का वार्षिक ५,५८--१८५. ५८६.-६०२ ६०२-६०६ ६०६-६२४




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