उणियारा ओळयूंतनाँ | Uniyara Oliyuntana
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
109
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)শখ बा 17
जडी गाडर तो म्द कैद दीठी है । म्हारी धणी जिह सू यै दोनू ई म्हने छोड दियै।
धेरे मे जावती वगत रहीम न वगडू म्ह इतरी भोढावण जरूर दीनी क सावचेत
कैडी रेंवे। औपरी मिनख है।
में घेरे में जाय पूणो ने पहलवान रै पग में ठिरडीजती साकछ माथे म्हारा
पग रोप दिया जाणै रावण रै दरबार में आपरा पग अगद रोप्या हा | साकछ माथे
पग धरताई पहलवान म्हारे सामी घूरने देखियौ जाणे कैवती व्है-क्यू मोत ने नूतो
देवै? पहलवान आपरे पग री साकठ खोलने अठगी न्हाख दी। म्हारै सू हाथ
मिलायौ-
म्हारो नाव धूडी है अर सामलै ने महै धूड भेगो करतौ जेज नीं करू।
पहलवान बोल्यी।
महारो ई नाव मगढो है अर मं ई धकले ने मगठ मेलतौ दमेक लगाऊ। म्हे
पडूतर दिवी ।
आ बोला साथे ई गहै दोनू भिडग्या । धूडो कुस्ती री खासो कारीगर हो। म्हनें
रेडण सारू खासी अटकक्ा काम में ली पण पूरो बक लगाय ने महैं उणरे दावा-पेचा
माय पाणी फैर दियौ। वो आपरे हातक रौ पूरी वछ लगाय ने म्हारली घाटकी ने
लाकण रो जतन करे उण पुढ में महें म्हारे हाथ आढी पजो उणरी हिचकी रै हेठे
दैयने ऊची ओडी करू क लाडी रो थोबडो आभे सामी व्है जाय । सामी जोवण रा
सपना ई अवि। ओकाध बार उण वगली ई मारी पण दा नीं गठी। ओखाणी कूडो
नी है कै बढ धके बुध बापडी ब्है जाया करै। म्हें तो आव देख्यो न ताव, लपक
नै दोनू हाथा सू उपरी कमर कप्त ने पकडली। दोनू पजा नै काठा कस लिया घूडी
भेडी काबू द्ठियी जाणै वग्द पाठी मेँ ननिलियो व्है। दोनू हाथा सू मुर॒डता ई
पहलवानजी सीधा सणक कन म्हारी छाती सू विपकग्या जाणे-घणे दिना सू गठै
मिलता की। सीधी होवता ई पहलवान नै ढूगढी माथे चाढने ओडी फोरियो के पडते
री हन्वीड वाज्य ! वो चित्त तो द्ठियौ जको द्हियो पण भदैतणी जोर री आट
लागण सू वेहोस न्यारौ द्ैगौ धूढ भे द्डियोडा धूटोजी नै मिनखा खासी ताल
मसक्विया जणै कठैई धूड सू उठने बैठा व्हिया। धूड़े री माधी थूड में करने म्हे सैंग
जणा आपणे गाव आठी डाडी पकंडी अर व्याक टागे ताई टाणी आय पूग्या।
धृड़े आती बात पूरी करने मगढी वा धोडोक फूकारी लियो अर भक केवण
लागा-
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