शांति दूत नेहरु | Shanti Doot Nehru
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
132
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)शान्ति-दूत नेहरू ११
लेकिन सुबह साढ़े छ बजे जो उसने आजे वन्द की थी, वे
कभी नहीं खोली । लगभग दो वजे टाबटरो ने हताश होकर कह
दिया-- ज्योति बुझ गई है ।”
एक थनीव-सा सन्नाटा छा या, मानो समय रक गया हो,
दुनिया की सभी चीजे स्थिर हो गई हा । कही कोई हलचल
नहीं रही ।
आकाशवाणी के “विविध भारती' से गीत चल रहा था--
“मंद रो माता, लाल तेरे बहुतेरे'*५' बकायक गीत बन्द हो
गया। श्रोताओं ने चौककर अपने-अपने रेडियो की ओर देखा ।
यह गाना क्यों वन्द हुआ ? तभी रेडियो से उन्हें भराई आवाज
में सुनाई दिया--“हमें अत्यन्त खेद के साय मूचित करना पड़
रहा है कि भारत के प्रधानमत्री श्री जवाहरलाल नेहरू अब इस
संसार में नही रहै ! आज दोपहर दो वजे अचानक उनक्रा स्वर्भ-
वास हो गया
विदेशों के रेडियो-स्टेशनो ने भी अपने कार्यक्रम बन्द कर
दिए और बड़े दुख से सुना या कि भारत के प्रधानमंत्री श्री जवाहूर-
ज्ञाल नेहरू अब नहीं रहे ।
सारा संसार झोक के सायर में डूव गया । वह व्यक्तित दिसने
जाने कितनी बार सारी दुनिया को विश्व-युद्ध के कगार में
गिरते-गिरते बचाया था, जिसररे समस्त ससार को घान्ति बा
पाठ पड़ाया था, जिसने संसार की दो प्रमुख विरोधों शक्तियों
में मेल कराया था, वहो आज अयनी अनस्च यात्रा पर चल
दिया था।
धरती शोकऋ-विह्लूल पी । उसने अपना सपूत सो दिया था,
अपना कुलदीपक, अपना सूर्य खो दिया घा। वास्तव में आकाश
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