भगवत प्रार्थना | Bhagwat Prarthna

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Bhagwat Prarthna  by सदानन्द ब्रह्मचारी - Sadanand Brahmachari

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विपय-सूची विपय (४ ) पृष्टिमार्गीय साहित्य, (६) अषप्टद्ाप--स्रदास, परमानंददास, कुभनदास, জুচ্যাহার। नन्ददास, छत स्वामी, गो्विद्-सखामी, चतुभुजदास- १५ ध्र ४०२-४०६ ४०६-४ १८ ६--राधावन्लभीय संग्र दाय--- १६.४६४ (१) दितहरिवंश जी-मार्म की विशिष्टता, प्रंथ--( १) राधा सुधानिधि-- (२) हित चोरासी; फचिता (१२) अन्य आचायगण--श्रीब्यास जी-- पं थ--गुरुपरंपरा, भवदासजी (३) संप्रदाय के सिद्धांत-- प्रेम- साधना में जीव का भावभय सवस्प-(फ) साधन देह (ख )-सिद्ध देह--. प्रमोपासना की दृष्टि से जीच एवं युगत्ञ-किशोर का साधम्यं, पर (ब्रह्म) रवरूप, सोदय्य-- साधुथ्य की चरम सीमा युगुल-किशोर--( क ) वजविहारी श्रीकृष्ण और बचूज-रस, (ख) नित्य-विद्ारी श्रीकृष्ण और निकुज-रस, युगुल सरकार और द्विततरच ४१६-४२७ शर८--ष४रप ४३८-४६४ १०-पूर्धी भारत मँ भक्ति आंदोलन-- ४६५-११४ सदज्ञिया बौद्ध संप्रदाय; सहृजावस्था- € ट अबधूती मागं, रागमाग~होम्बी तथा घांडाली-महामुद्रा ४६५-४७६




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