समालोचना | Samalochana
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
58
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ५ )
तयोःसुता शुभालापा देवकी कोकिलखना ।
दापिता वसुदेवाय कसनमहताग्रहात् । ५२॥
इसका अर्थ ঘ০ घनश्याम-द्वस जी द्वारा अल॒ुवाद किये
डुए पांडयपुराण के १७२ वें पृष्ठ पर इसप्रकार लिखा है।
स्गावती देश में दशण नाम का एक नगर है | वहाँ का राजों
देवसेन था ओर उस की रानी का नाम घनदेवी था। घह
इन्द्र की इन्द्राणी जेसी थी । उसके पक पुत्री थी जिसका नाम
था देवकी । उस के को पल नेता सुन्दर स्वर था। बह बहुत
ही अच्छा आलाप लेती थी | कंश्र ने बड़े भारी आमप्रह से
देवकी वसुरेव के लिये दिलाई थी ।
पाड्यपुराण भाषा थ्योपाई वद्ध पं० बुछाकीदासजी छृत
सन्धि १२ वे में लिखा हे । कंल की बात ।
वांधि जनक को गपेपुर थापि।
राज करत मथुरा को आप ॥
तब बसुदेवाहि मथुरा आने ।
राख्यों प्रीति मगलि चित आनि ॥
अब হাল दश छुगावलि जहा।
नगर दस्ाणे वसत है तहां ॥
देवसेन दप ताम बसे ।
धनदे तिस रानी लस ॥
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