भाषालोचन | Bhashalochan
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
527
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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अध्याय ९
वावर्यमिं श्रार् हुए शब्दे दो सम्बन्ध : अर्थार्मे उल्वट-फेरडे
प्रकार : शब्दशक्तिः गर्दी बाहरी दानयीन : नाम
रखनेके ढंग : सामान्य भाव और विशेष भाव : कटं दाया-
वाले अर्थोकी खोज : अर्थोर्मे देरफेर दोनेके कारण : भर्थमें
खझदल-बदलके कुछ निराले ढंग: व्यक्ति या समानके
चलानेसे ही पझ्मर्भोर्मे देस्फेर ।
ই, लिखावटका भो अर्थ द्ोता दै ( लिखाबट कैसे चलो
आर कितने ढगऊी ? ) টা ক ४५३
लिखावद भी संकेत दे: भंटपटकी लिखब
दिग्यादरे कवे चल्लीं?: दिखावदङी चार भवस्थाएँ:
नागरोकी खिद्घावट पूछ है : लिखावटको च(छ : संकेत-दिव्या :
लिखने भौर बोलनेमें भेद ।
तीसरी पाली
[ संसारकी बोलियाँ और उनके बोलनेवाले
कहाँ-कहाँ हैं १ ]
२. ससारमें बोलियाँ कैसे फैज्ञीं ? ( बोलियॉडा बँटवारा ) ४७३
धंसारकी योक्षियोंदा बेटवारा कैसे क्रिया गया;
रूपाधित अरं गोग्राश्नित ( पारिवारिझ ) पर्गोहर्ण :
अनादरो धृष्टिसे दोबियेंके दो दंग : ुटन्त ( थोगारमक )
धोबियों करे तोन रूप « ग्रोलियोंड्रे बारद गोश्र: योद़ियोंडे
सग्रह गोत्र ।
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