द्रव्य - संग्रह | Dravya-sangrah
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
102
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)प्रथम धिकार ३
भावाथ --१ जीवत्व, २ उपयागमयत्व, ই श्नमूतित्व,
४ कर्तृत्व, ५ स्वदेहपरिमाणत्व, ६ भोक्तृत्व, ७ ससारित्व,
८ सिद्धत्व ओर ६ विस्नलसा ऊध्वंगमनत्व थे जीव के ६ अधिकार
हे ।
? जाीवाधिकार ।
तिक्काले चद्पाणा इंदियवलमाउ श्राणवाणा य)
वराग सा जीवा णिच्णप्रलादु वेदशा जम्म ॥२॥
३ त्रिकाले चतुःप्राणा इन्द्रिय बले आयु! आनप्राणा: उ।
ठप्रवहागात भः जीवः निञ्चयनयतः तु च॑तना यस्य ॥२॥
अन्वयार्थ --(जम्स) जिसके (ववहारा) व्यवहारनय से
(तिककाल) भूत, भविष्यत् ओर वलमान काल में (इंदिय)
र्य, (चतन) चत्त, (श्राड) श्राय (य) श्रोर (श्राणपाणा)
श्वासोच्कुवास य (चदुपाणा) चार प्राण हाते है (दु) मार
(शिञ्चयगयदोा) निरुचयनय म जिसके (चेदगा) चनना है (লা)
वह (जीवा) जीव टे ॥3॥
भावाध'--४ इन्द्रियों (स्पशन, रसना प्रागा, चक्तु, कशा)
३ बत (मन, वचन, काय), ? आयु ओर ? श्वासोच्छुबास य
दस प्रागा जिसके हों वह व्यवहाग्नय* से ज्ञीव है आर जिसके
चतना (ज्ञान और दशन) हो वह निशच्रयनय से जीव है।
व्यवह्गनय श्योर निर्चयनय । “नत्वाथ निश्चया बक्ति,
व्यवह्।रा जनोदितम् ।'' श्रथान् पदाथ के. असली स्वरूप का
+ पत्यै क ৮+ স্সগ 1 कानन बाता नय) * |इपक =) नन? _
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