जिन खोजा तिन पाइयां | Jin Khoja Tin Paaiyan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
20 MB
कुल पष्ठ :
579
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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भ्रधोगामी यौन-शक्ति भौर ऊध्वंगामी कुण्डलिनी-शक्ति
श्वास को धीमा करे से क्रोध व कामोतेजना आदि की शान्ति
तीव्र श्वास की बोट से सोयी कुष्डलिनी-शक्ति का जागरण
जागी हुई कुण्डलिनी का चक्री को सक्रिय करना
व्यक्तित्व के सुप्त केन्द्रों का सक्रिय होना
सक्रिय केन्द्रों से नये व्यक्तित्व का झाविर्भाव
विपरीत लिंगी नग्न शरीर की कल्पना से यौन-केन्द्र सक्रिय
मैं कौन हूँ?” की चोट--यूरे व्यक्तित्व के मौलिक भाधार पर
. तीज्न श्वास से शरीरगत चोट भौर मैं कौन हूँ ?” से मनोगत चोट
. शक्तिपात मे तीसरी दिशासे चोट
. में कौन हूँ ?” की चोट के लिए विशेष स्थिति आवश्यक
कुण्डलिनी-पथ पर अनेक जन्मों व योनियो के प्रनुभवों का
प्रकटीकरण
রর के प्ात्रा-पथ पर समस्त जीवन-विकास का इतिहास
ं
कुण्डलिनी-विकास में भ्रनेक भ्रतीन्द्रिय भ्रनुभन
कुछ पशु-पक्षियों की भ्रतीन्द्रिय क्षमता
शक्तिपात में ऊर्जा का नियन्त्रित भ्रवतरण
कुण्डलिनी-उत्थान श्रौर शक्तिपात पर अ्रनुभव
शक्तिपात से स्वयं में ही छिपी हुई ऊर्जा-क्षमता का विकास
शक्तिपात में से भन्तर्यान्ना मे प्रोत्साहन
सामूहिक शक्तिपात भी सम्भव
शक्तिपात का प्रभाव धीरे-धीरे क्षीण होना सम्भव
भ्राध्यात्मिक विकास-क्रमं मे पीछे लौटना भसम्भव
शक्तिपात व प्रभु-कृपा ( ग्रेस ) में भ्रन्तर
भ्रहंशून्य स्थिति में शक्तिपात की भायोजना कंसे सम्भव ?
श्रहं-शून्यता क्रमिकं नहीं
अहं-शून्य व्यक्ति पर हमेशा प्रभु-कृपा की वर्षा
अहं-शून्यता पर ही प्रभु-कृपा (ग्रेस ) उपलब्ध
मनोगत (साइकिक ) क्रुण्डलिनी-ऊर्जा की यात्रा परमात्मा तक
सीधे शान्त-ध्यान भौर कुण्डलिनी-जागशरण से ध्यान के बीच
चुनाव
सभी शक्ति-साधनाएँ--तनाव की साधनाएँ हैं
बुद्ध और कुण्डलिनी-साधना
~ चौदह ~
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