गांधी साहित्य ६ : आत्म संयम | Ghandhi Sahitya 6 : Aatm Sanyam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनीतिकी राहपर : १: नीतिनाशकी ओर कृपालु: मित्र मुझे भारतीय पत्रोंके ऐसे लेखोंकी कतरनें भेजा करते हैं जिनमें गर्भ-निरोधके कृत्रिम साधनोंसे काम लेकर सन्तति-नियमनके विचारका समर्थन होता है। युवकोंके साथ उनके व्यक्तिक जीवनके विषयमें मेरा पत्र-व्यवहार दिन-दिन बढ़ता जा रहा है । मुभे पत्र लिखने- वाले भाई जो सवाल उठाते हैं उनके बहुत ही छोटे भागकी चर्चा मैं इन पृष्ठोंमें कर सकता हूं । प्रमरीकावासी मित्र भी इस विषयके लेख, पुस्तकें मेरे पास भेजते हैं | भ्रोर कुछ तो गर्भ-निरोधके कृत्रिम साधनोंके उपयोगका विरोध करनेके कारण मुभपर खफा भी हैं। उन्हें यह देखकर दुःख होता है ক্ষিন্সন্ श्रनेक विरिषयोंमें तो मैं बहुत आगे बढ़ा हुआ सुधारक हूं, पर संतति-नियमनके विषथ में मेरे विचार मध्य-युगके हैं । मैं यह भी देखता हूं कि गर्भ-निरोधके कृत्रिम साधनोंसे काम लेनेके हिमायतियोंमें कुछ ऐसे स्त्री-पुरुष भी हैं जिनकी गणना दुनियाके बड़े-से-बड़े विचारशील जनोंमें है। अतः मैंने सोचा कि कृत्रिम साधनोंसे काम लेनेके पक्षमें कोई बहुत ही पक्‍की दलील होनी चाहिए, और यह भी सोचा कि भ्रबतक इस विषयपर जो-कुछ मैंने कहा है उससे मृं कुछ भ्रधिक कहना चाहिए। मैं इस प्रश्नपर भ्रोर इस विषयका साहित्य पढ़नेके बारेमें विचार कर ही रहा था कि नीतिनाशकी श्रोर' ('टुवड्‌ स मॉरल बेंकरप्सी ) नामकी पुस्तक मुभ पढ़ने- को दी गई । इस पुस्तकमे इसी विषयका विवेचनहै श्रौरमेरी समभे




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