नवें दशक की हिन्दी कहानी में नारी का मनोवैज्ञानिक विश्लेषण | Navay Dasak Ki Hindi Kahani Me Nari Ka Manovaigyanik Vishleshan

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Navay Dasak Ki Hindi Kahani Me Nari Ka Manovaigyanik Vishleshan  by प्राची खरे - Prachi khare

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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“ जहाँ गद्य समर्थ होता है, वहाँ कविता गद्य से भाषा शक्ति गृहण करती हैं और जहाँ कविता मे ग़का निखार पहले हो जाता है वहाँ गद्य कविता के प्रयोगों से अपनी भाषा को तराशज्ञा है।”१ अब ६-५७ के बाद कहानी में जो परिवर्तन आया सोतो आया ही, कहानी हिन्दी जगत के आकर्षण का न्द्र हौ गयी। नई कानी की आवाज वस्तुतः एक रचनात्मक संभावना को देखकर उटी थी जो नई पीढ़ी कट्‌ नकारो की कृतियों मै साफ झलकती हैँ ड. नामवर सिह को नयी कानी के नामकरण की आवश्यकता सर्वप्रथम महसूस हुयी। उनके कहानी उनके लेख “आज को हिन्दी क से ज्ञात हाता है। नयी कहानी के नाम का समर्थन एवं इसे कहानी जगत > स्थापित करनं का श्रय डा. नामवर सिंह को हो है। उन्होंने “नई कविता' के सन्दर्भ में नयी कहानी कप नामकरण पर विचार करते हुए कहा- “ “नयी कविता' को तरह “नयी कहानी' नाम भी कोई चीज है क्या?“ नयी कहानी नाम से अमी तक कोई आन्दोलन चला ही नहीं? इससे क्‍या समझें कि कहानी में कुछ नया पन आया ही नहीं कि कहानी में जो नयापन आया है वह कविता का अपेक्षा बहुत कम दै? र वर जी ने अपने लेख में कहानी के परिवर्तित रूप को चर्चा वैसे भी ये अपन विचार समय. समय पर व्यक्त करते रहै है। कमी सांकेतिकता को, कमी सूक्ष्म वातावरण को या क्था विन्यास को या वाज्तव के विविध आयामो कौ या नवीन दृष्टि को आधार मानकर नई कहानी का मूल्याकन करते रहें हैं . यहाँ यह निश्चित हो जाता है कि नामकरण की आवश्यकता सबसे पहले नामवर सिंह को ही महसूस हुयी .. थी। कहानी लग इतिहास उठाने पर ज्ञात होता है कि हमेशा कहानीकारों ने आपस में आरोप प्रत्यारोप लगाकर |. न . नये नये विवाद खड़े किये है। 'नयी कहानी” के नामकरण सबंधी विवाद मे डा. नगेन्‍्द्र डॉ. लक्ष्मीसागर वाष्णय, ठेनय मोहन शर्मा, जैनेन्द्र कुमार, इलाचन्द जोशी, अमृत राय कहानी के नये विशेषण से सहमत नहीं हुयें क्योंकि “साहित्य चिर पुरातन होते हुये भी चिरनवीन रहता ই, वह गतिशील है और परिवर्तनशील अतः नया तो होगा ही। ”” किन्तु नयी कहानी के नामकरण के विरोध का कोई परिणाम नहीं निकला क्योकि नयी कहानी एक सशक्त विद्या के रूप में स्थापित हुयी और नयी कहानी आन्दोलन पूरी प्रखरता के स कहानी क्षितिज पर उद्भासित हुआ। हुयी। मोहन राकेश को समझने में कठिनाई हो सकती है क्‍योंकि उस अर्थ में नये लोगों ने इस माध्यम को नहीं चुना। हर कहानी से अलग करता हैं वह नयी-नयी संभावनाओं की खोज का है हिन्दी में आज यदि इस अन्वेषणात्मक । नही 72 १. हिन्दी कहानी पहचान और प्ररख-इन्द्रनाथ मदान ... (नई कहानी नया सन्दर्भ- ज़ामवर सिंह) २.- कहानी : नई कहानी - डॉ. नामवर सिंह ३. हिन्दी कहानी के आन्दोलन ; उपलब्धियां और सीमाएं ४. वकलम सुद- मोहन रकश पृ. १०२. 3৭ २. कहानी स्वरूप ओर सम्वेदना - राजेन्द्र यादव का कहना है- माध्यम के रूप में कहानी की ओर नयी पीढ़ी का झुकाव एक आंतरिक अनिवार्यता के कारण ही है। जो लोग कहानी को बंधी बंधाई परिभाषा की रचना शैली के रूप में देखते है उन्हें इस स्थिति नयी कहानी अपने में एक नया प्रयोग, एक नया सीमा चिन्ह हो सकती है। जो सामान्य धरातल उसे पुरानी - कहांनी को नयी कहानी का नाम दिया गया है। तो इस अर्थ में ही कि उसेक प्रयोग तथा अन्वेषण का... क्षेत्र सर्ववा अपना है और कि अलग अलग कहानीकरों के विशिष्ट व्यक्तितत्व और विशिष्ट अन्वेषण क्षेत्र... के रहते हुए भी इस माध्यम में एक नयी सार्थकता ले जाने का उनका प्रयत्न एक सा है। जिन्दगी की मो तरिक और बाह्य परिस्थितियों के चित्रण के लिए यह माध्यम अधिक अनुकूल है- अनुकूल किन्तु- आसान... 8.




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