श्रीमद् भागवतपुराण का भौगोलिक विवेचन | Shreemad Bhagwat Puran Ka Bhaugolik Vivechan
श्रेणी : भूगोल / Geography
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
134 MB
कुल पष्ठ :
442
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about रामलोटन त्रिपाठी - Ramlotan Tripathi
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)को भी भागवतपराण ने इस प्रकार ग्रहण किया है कि उसकी विशिष्टता यथावत् अक्षण्ण बनी
रही। भागवतप्राण का महत्व इसकी महापराण की संज्ञा से स्वयमेव सिद्ध है। भागवतपुराण
में ऐीतहासिक, धार्मिक, दाशीनक, राजनीतिक आदि तथ्यों के साथ भौगोलिक ज्ञान सम्बन्धी
अनेक सन्दर्भ उपलब्ध हैं। भवन कोष में विश्व का बृहद् वर्णन है।। सृष्टि वर्णन में ब्रहमाण्डो-
त्पत्ति तथा शिशुमार संस्था मेँ नक्षत्र विज्ञान के तथ्य सविस्तार वर्णित ह । स्पष्टतः मरह
वेदव्यास न केवल ऋषि धे बल्कि भूगोलवेत्ता भी थे, जिन्होंने भागवतपुराण में धार्मिक रीति रिवजो
एवं मान्यताओं के वर्णनों के साथ ही साथ विविध भोगोलिक पक्षों के भी वर्णन किये हैं।
रचना काल- 3
भारतीय वांगमय में साक्ष्यों की अनुपलब्धता के कारण महापुराण के.
रचनाकाल में विविध विद्वानों में मतभेद है। मैक्होनल, बर्नाफ, कोलब्रक और व्ल्सिन आदि
विद्वानों ने इसका रचनाकाल । उर्वी शताब्दी माना है। दीक्षितार इसकी रचना तृतीय शताब्दी
. मानते हैं। सी0बी/वैद्य, विष्टरनित्ज, नीलकण्ठ शास्त्री, पार्जिटर, पर्कुदर आदि विद्वाल इसे
भवी शताब्दी की रचना मानते हैं { शर्मा,।984,20-221। बल्देव उप्राध्याय इसको गौडपाः
से पूर्ववर्ती मानते हैं क्यों कि गौड़पाद के उत्तरमीता भाष्य मँ भागवतपुराण 10-14-4६ |
का श्लोक उद्धृत है । इस मत के अनुसार भागवतपुराण का रचनाकाल ফতী शती के लगभग कि
होना चाहिये क्यों कि गौड़पाद का समय सप्तम शतक के आरम्भ में माना गया है { उपाध्याय, .
1978 ,547-548 {। भागवतपुराण में हणों ॥12-4-18,2-7-461 का उल्लेख होने के
कारण सिदेश्वर भट्टाचार्य इसके रचनाकाल की पूर्व सीमा 500 ई0 मानते हैं। (शर्मा,।१84
250
उपरोक्त तथ्यों का अवलोकन करने से स्पष्ट होता है कि भागवतपुराण ছি
के रचनाकाल की पूर्व सीमा छठी शताब्दी ब उत्तरसीमा । 0वीं शताब्दी तक माना जा सक्ता হি
है। हरवंश लाल शर्मा জি 2020,851 ने पूर्ववर्तीं লিরালী ক विचारो का अनुशीलन कर
यह मत व्यवत किया है कि इसकी निम्न सीमा ई0पू0 600 वर्ष है जिसका औतम रूप
99वीं शताब्दी के उत्तरार्द्ध तक प्रस्तुत हो चुका धा।
संस्करण- ` न 3
भागवतपुराण पाठ भेद सम्बन्धी कठिनताओं से रहित है । यद्यपि इसका
User Reviews
No Reviews | Add Yours...