भारतीय राजनीति में श्रीमती इन्दिरा गाँधी का योगदान सन् 1970 से 1984 तक | Bhartiya Rajniti Mein Shreemati Indira Gandhi Ka Yogdan San 1970 Se 1984 Tak

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Book Image : भारतीय राजनीति में श्रीमती इन्दिरा गाँधी का योगदान सन् 1970 से 1984 तक  - Bhartiya Rajniti Mein Shreemati Indira Gandhi Ka Yogdan San 1970 Se 1984 Tak

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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को गिरफतार की गयीं थी ।34 जिन दिनों इन्दिरा जी इलाहाबाद मेँ कान्वेन्ट मं पढ़ रही थी। उन दिनों की बात है कि नमक सत्याग्रह आन्दोलन के समय एक एक स्कूल में ध्वजारोहण समारोह था। फिरोज भी उसी स्कूल मेँ पढ़ रहे थे। झण्डा फहराने वाले व्यक्ति को गिरफतार कर लिया। फिरोज ने भारतीय ण्डे का सम्मान बनाये रखने के लिए ण्डा इन्दिरा जी के हाथों मं दिया यह कहकर कि “इसे गिरने मत देना |> उस समय इन्दिरा जी बहुत उत्तेजित हो उठी थीं और इस वक्‍त पर गर्वं भी अनुभव कर रही थीं कि भारतीय ण्डे की शान व सम्मान उनके हाथा में ही है। भीड़ भाड़ व धक्का मुक्‍्की में यद्यपि इन्दिरा जी गिर पड़ीं और उन्हें थोड़ी चोट भी आयी किन्तु उन्होंने जैसे कसम खायी थी कि भारतीय ण्डे को ऊँचा रखना है, उसे गिरने नहीं दिया। झण्डा किसी अन्य व्यक्ति ने सम्भाल लिया। लाठी सहने का उनका यही पहला अनुभव था। शायद यही से उनके अन्दर यह भावना जाग्रत हुई, अपने देश व राष्ट्रीय ध्वज की रक्षा करना उनका परम कर्तव्य हे |€ । सन्‌ 1931 में इन्दिरा जी का प्रवेश पूना के स्कूल मेँ हुआ। इस स्कूल का नाम था “चिल्देन्स ओन स्कूल जिसे एक वकील दम्पति चलाते थे। यह | स्कूल किंडर गार्डन तक ही था, बाद में स्कूल का नाम “प्यूपिल्स ओन स्कूल कर दिया गया। पूरे स्कूल में इन्दिरा जी बहुत सक्रिय शी। वह वहां की साहित्य सभा की मत्री भी थी गाधी जी ने जब अपना अनशन प्रारम्भ किया उस समय इन्दिरा जी व उनके सहयोगी भियो की बस्ती मे जाकर न केवल सड़कें वगैरह ही साफ करते बल्कि भग्गियों के बच्चों की भी सेवा करते थे |ॐ इन्दिरा जी का यह दृढ़ विश्वास था कि पूना के स्कूल ने उन्हें इतना आत्मनिर्भर कर दिया था, कि उन्हें शान्ति निकेतन में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं अनुभव हुई |29 वकील दम्पति बहुत दिनों शान्ति निकेतन में काम कर चुके थे। वहां के वातावरण से पूर्णरूप से परिचित थे।




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