जैन धर्म परिचय | Jain Dharam Prichay
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1 MB
कुल पष्ठ :
52
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)( ११ )
की हालत में हवा का पुदूगल ( मेटर ) चखने में और देखने में
आ जांता है |
आग में रंग, स्पर्श मालूम होते हैं रस, गन्ध मालूम नहीं
होते किन्तु वे उसमें हैं अवश्य। उस समय सूह्रम रुप में हैं ।
हालत बदलने पर वे दोनों गुण भी मालूम होने लगते हैं ।
शब्द पुद्गल है उसके तीन गुण सूम ह । न्तु स्पशं
कुछ जाहिर होता है । शब्द् पुद्गल है इसी कारण पुद्गल पदार्थो
से ( बाजे, मुख, तोप श्रादि से ) वह पैदा होता है । टेलीफोन,
आमोफोन, लाऊड स्पीकर, वेतार का तार, तार श्रादि यन्त्र से
पकड़ में आ जाता है, बन्द कर लिया जाता है, दूर भेज दिया
जाता है। बिजली, तोप आदि के भयंकर शब्द से कान के परदे
फट जाते हैं, जोरदार शब्दों के आघात (टक्कर ) से श्ल्ियों के
गर्भ गिर जाते हैं, पहाड़ की चद्टानें गिर पड़ती हैं। ऐसी जोरदार
टक्कर पुद्गल पदाथ हुए बिना नही हो सकती |
(6
অঙ্গ ,। 21 | दशा ॥
८. रद २
पुदूगल दो दशाओं में होता है, परमाशु और स्कन्ध ।
परमाणु पुदूगल का सब से छोटा अखण्ड टुकड़ा है । उन टुकड़ों
के आपस में मिलकर बने हुये बड़े टुकड़ों को रकन्ध कहते हैं ।
शब्द एक विशेष प्रकार का पुद्गल है । ऽसके स्कन्ध सब
जगह भरे हुये हैं।
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