एक और स्वर्ण जयती | Ek Aur Swarna Jayati

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Ek Aur Swarna Jayati by राजेंद्र श्रीवास्तव - Rajendra Srivastav

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ठोकर मार दी। म आप लोगो की सेवा करना चाहता हू. मै असली सेवक हू। मे भी इन नेताओ के त्याग से बहुत प्रभावित हुआ। सोचने लगा कि ये लोग अभी तक कहा थे जब बोफोर्स पहले उछला था तब इन लोगो ने क्यो इस्तीफा मही दिया? उसी समय इस्तीफा दे देते तो अब तक इनकी पूजा जिदा शहीदो की तरह होने लगती। लेकिन साल दो साल पहले नौकरी से इस्तीफा दना नडा मुश्किल हाता है। अगर सरकार स्वेच्छिक अवकाश ग्रहण की सारी सुविधाए इन मेताओ को देने की घोषणा कर देती तो ज्यादा अच्छा होता। आम के आम ओर गुरलियो के दाम 1 आर्थिक नुकसान भी नही होता और खून लगाकर शहीद भी हो जाते। इन नेताओ के इस्तीफो पर आम प्रतिक्रिया जो भी हो लेकिन अचानक उस दिन एक पुराने नेता से मुलाकात हो गई। उन्होने इस्तीफा नही दिया था। मैंने पूछा आपने इस्तीफा क्यो नही दिया? मैं अपने मतदाताओ से विश्वासघात नही कर सकता। उन्होने मुझे पाच साल के लिए चुना है तो पाच साल बाद ही जाऊगा। उन्होने जवाब दिया। लोग आपकी आलोचना कर रहे है सरकारी एजेट कह रहे हैं। कहने से क्या होता है मै जो हू, वही रहूगा। लेकिन सबके साथ अगर आप भी त्यागपत्र भेज देते तो एकता और मजबूत होती। मैने तर्क दिया। एकता है ही कहा उन्होने कहा एकता के नाम पर सिर्फ ड्वामे हो रहे है और ये चुनावो तक चलते रहेगे। यही इन नेताओ की नियति है। यह कहकर वह कुछ गभीर हो गए। थोडी देर सोचने के बाद बोले रही त्यागपत्र की बात तो त्याग मेरे जीवन का आदर्शं रहा। त्याग के सिवा कुछ किया ही नही लेकिन त्यागपत्र (वह कुक शरमा गए) लिखने की अब उमर ही नही रही मेरी। सत्तर साल कौ उमर मे मै कया पत्र लिखूगा? वैसे मेरी समञ्च मे त्यागपत्र देना कोई त्याग नही है । यह तो एक स्टट है। इस्तीफों का मौसम ® 15




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