अर्थशास्त्र के सिद्धांत | Arthshastra Ke Siddhant

Arthshastra Ke Siddhant by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अध्याय १ परिभाषा ओर सम्बन्धित वतिं (09961510005. ৪00 চ২615150 ট151০:5) परिसापा की आवश्यकता-- किसी भी वस्तु को परिभाषा के बन्घन मे चाँघना कठिन होता है, विशेषव रु उन दब्दों की परिभाषा तो और भी कठिन होती है जिनसे हम अपने देनिक जीवन में सबसे प्रधिक परिचित होते हैं, किन्तु फिर भी परिभाषा बी आवद्यकता तो होती ही है ।'इसलिए किसी भी विपय अथवा शास्त्र का अध्ययन आरम्भ करने से पहले उसको परिभाषा दी जातो है । अर्थशास्त्र का अध्ययन भी हम पर्थशासत्र की परिभाषा से ही आरम्भ करते है । परिभाषा का प्रमुख लाभ यह होता हैं कि हम्‌ झारम्भ में ही यह जान लेते हैं कि जिस विपय का हम प्रध्ययच करने जा रहे है, वह यथार्थ मे क्या है। अर्थर्षद्धि के सम्बन्ध में मह बात विवदिग्रत्त रहो है कि पहले अथंग्रात्ञ की परिभाषा की जाय या उसके विपय की विवेचना । प्राचीन अथंशारह्ली पहले विषय की विवेवना करते थे और परिभाषा अन्त मे करते थे । इसके पीछे क्रिचित यह तर्क छिपा हुमा था कि जब तक हमे यही ज्ञात नही हैं कि अधंशासत्र का विपय क्‍या है, हम उक्षकी परिभाषा को कथा समकेंगे ? आधुनिक अर्थशात्वो इसके विपरीत पहले परिभाषा करते हैं श्लौर विषय की विवेचना बाद मे । कारण यह है कि परिभाषा अध्ययन के क्षेत्र को सीमित कर देतो है झोर लेखक इधर-उधर भटकने नही पाता है । जहाँ तक अर्थशासत्र की परिभाषाश्रों का प्रश्न है, इस दालन को इतत्री परिभाषायें हुई है कि डा० कीनज को यह कहना पड़ा हैं कि इस शास्त्र ने परिभाषाओं से झपना गला घोद लिया है ।* बारबरा ऊठन के इस हास्य मे भी कद्ठु सत्यता छिपी हुई है कि जब कभी भो दः श्र्गाली वेते ह उनके सात मत्त होते है ,२ कालान्तरमे बराबर अर्थशास्त्र की परिभाषाग्ो के निर्माण का काम होता चला झाया है और पगो सके भी मई परिभाषायें बनाने और दूसरों की परिभाषाओों की झालोचना करने का कस बन्द नही हुआ है ५ आज भी हम यह रही कह सकते हैं कि भविष्य में अर्थशास्त्र की झौर नई परिभाषाएं नही होगी । परिभाषाप्रो की इस झधिकता के कारण विद्यार्थी 1. [क &०एणाए 18 5250 ৮০ 79৮6 5080৫750, ১2১৪1 ছু ৩$0160109৮-0)৮- বু মত সিডিএ হ 5০০2৫ ০14 5128050130178:592 ८००१०४४१, ४. 153. 2. “एछमलारज्टा 85 ९पणाएचतांज 5 97९ ६३६76४९ 0৪75 806 5৩৮2 তাযোন90 ৯৮ হটিজতহ ০০6০০ 21221562৫10 10070158055 0০ 24,




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