अध्यात्म कल्पद्रुम सार | Adhyatm Kalpdrum Saar

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Book Image : अध्यात्म कल्पद्रुम सार  - Adhyatm Kalpdrum Saar

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१७ पर तीन था पाँच रात्रि से अधिक नहीं ठहरते थे, यह बात सोम सौभाग्य से स्पष्ट मालूम होती है। उस समय यद्यपि तीथयात्रा के साधने सुलभ नहीं थे मांगे में अनेक भयानक स्थितियों का सामना करना पड़ता था फिर भी श॒त्रुजय तीथे की यात्रा ङी महिमा थी। यह्‌ महात्मा तीन वार वहुत बड़ी घूमघाम और आडम्चर से तीथ यात्रा के लिए निकले, অই वाव संघ के वर्णुत से स्पष्ट है। खस समय श्रावक वभे की स्थिति भी बहुत अच्छी होगी यह सूरिपद्‌ की प्रतिष्ठा, जिन चेत्यां को प्रतिष्ठा और संघ यात्रा के महोप्सवो से ज्ञात होता है। यदि आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती तो ऐसे अदभुत महोत्सव कैसे मनाए जा सकते थे। एक एक श्रावक शासन के प्रभावक हुए हैं यह मुनि सुन्दरसूरि महाराज की गुर्वाचली मे बरित हैम मंत्री श्रौर लस्लना पुत्र नाथाशाह के वेन सेमाटूमदोतादहै। वे श्रावक भयके कारण निःसंग जैसी सावद्य क्रिया की आरम्भ न करने वाले आर गण को सदा सब प्रकार का सहयोग देन वाले थं। ऐप्ते उदार और घम परायण ध्राचक यदि उत्पन्न हों तो शासन स्थिर २हता है यह कोई লহ बात नहीं है। शासन के काये मं सहयोग देना पढ़ता है और विरुद्ध दीकाएँ सहन करनी पड़ती हं। परन्तु यह सथ आत्मिक उन्नति के हेतु जप, तप, योग, पिराग करने वाले दी सहन फरतें हैँ, क्योंकि वे ऐट्विक मान-प्रतिष्ठा प्राप्त करने के लिए व्यवद्दार नहीं करते अपितु परभव में अक्षय मुख प्राप्ति के साथनों में संल्म १हते हू। श्रावक वर्ग यद्यपि अधिक श्वास्त्रा- भ्यासी नहीं थं, फिर भी ध्रावा अच्छी संख्या में एकत्रित होते थे यह उपदेश रत्नाकर में बताये उपदेश प्रहण करने वालों के लक्षणों से ताव षटवा ६। 3 न ~ ~ न ~ পপ পাশপাশি ও ~~~ -----------~--- [एणराही भाषा में घर्वात्म बह्पद्र मं शा विस्तार से विवेशन एश्ते दारे स्वल गोसी प्र गिरण्रसाज शापदिया (सोसिसिटर घोर सोदेरों पब्चिक, हाई ढोर्ट, इम्म() मे प्राघार पर]




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